गोरखपुर विश्वविद्यालय : 95 फीसद सीटें खाली, 53 फीसद शिक्षकों के पद रिक्त
गोरखपुर : अनुदानित और राजकीय महाविद्यालयों में 53 फीसद से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। यही नहीं विश्वविद्याल प्रशासन की गलती के कारण करीब 95 फीसद सीटें भी रिक्त हैं। क्षितिज पांडेय, गोरखपुर। नया शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है और प्रवेश का दौर जारी है, लेकिन प्रवेश ले रहे इन छात्रों को पढ़ाएगा कौन, यह तय नहीं है। गोरखपुर-बस्ती मंडल में अनुदानित और राजकीय महाविद्यालयों में 53 फीसद से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। यही नहीं यहां केवल शिक्षकों के पद ही नहीं बल्कि अधिकांश कक्षाओं की सीटें भी खाली हैं। बीए की तो करीब 95 फीसद सीटें खाली रहने की आशंका है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर चिंता शुरू हो गई है। कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। तमाम कॉलेजों में दर्जनों ऐसे विषय हैं जहां शिक्षकों का टोटा है। कहीं एक-दो शिक्षक है तो कई विभाग बिना शिक्षकों के ही संचालित हो रहे हैं। इन सबके बीच संगोष्ठियों में शिक्षाविद् गुणवत्ता को लेकर चिंता जाहिर करते रहते हैं, जबकि यहां सामान्य पठन-पाठन भी हो पाना मुश्किल है। नेशनल पीजी कॉलेज का उदाहरण लें। यहां शिक्षकों के करीब 54 पद हैं जिनमें से 26 खाली हैं। मनोविज्ञान, भौतिक विज्ञान, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि प्रसार, कृषि अभियंत्रण, भूमि एवं जल संरक्षण विभाग में एक भी शिक्षक नहीं हैं तो वनस्पति विज्ञान के लिए एक ही शिक्षक हैं। सेंट एंड्रयूज कॉलेज में समाजशास्त्र, भूगोल और उर्दू पढ़ाने वाला कोई नियमित शिक्षक नहीं है। देवरिया के संत विनोबा कॉलेज में प्राचीन इतिहास और शारीरिक शिक्षा विभाग खाली है तो कुशीनगर के यूएन पीजी कॉलेज में ङ्क्षहदी, गणित, इतिहास, संस्कृत , भौतिकी, रसायन जंतु विज्ञान के सभी पद खाली हैं। रिक्त पदों के सापेक्ष नई नियुक्तियां हो रही हैं। हालांकि फिर भी कुछ पद रिक्त रह जाएंगे। उनके लिए अधियाचन भेजा जा रहा है। पठन-पाठन सामान्य रहे, इसके लिए 70 वर्ष की आयु तक वाले सेवानिवृत्त शिक्षकों का सहयोग ले रहे हैं।