अन्तर्राष्ट्रीय

चीन बोला- दक्षिण सागर में हमारे द्वीपों से दूर रहे अमेरिका

चीन और अमेरिका के बीच शनिवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में बीजिंग ने वाशिंगटन से दो टूक लहजे में कहा कि वह दक्षिण चीन सागर में उन द्वीपों के निकट पोत और सैन्य विमान भेजना बंद करे जिन्हें चीन अपना बताता है। शीर्ष स्तर पर हुई इस बैठक को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस महीने के अंत में होने वाली मुलाकात की तैयारी के तौर देखा जा रहा है।

चीन बोला- दक्षिण सागर में हमारे द्वीपों से दूर रहे अमेरिका

राजधानी वाशिंगटन में शनिवार को दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों और सैन्य प्रमुखों के बीच बैठक हुई। चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जहां कहीं भी अंतरराष्ट्रीय कानून इजाजत देंगे वह विमान भेजना, पोत भेजना और उन स्थानों तक अपनी पहुंच जारी रखेगा। सितंबर महीने के अंत में अमेरिका और चीन के पोत एक विवादित द्वीप के निकट टकराने से बचे थे। बैठक में गहरे मतभेद के बावजूद दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने की जरूरत पर जोर दिया गया।

विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अमेरिका-चीन कूटनीति व सुरक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘अमेरिका चीन के साथ शीत युद्ध रोकथाम की नीति नहीं अपना रहा है। बल्कि हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दोनों देशों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए चीन जिम्मेदाराना और निष्पक्ष रवैया अपनाए।’ बताते चलें कि यह बैठक पिछले महीने बीजिंग में होनी थी, लेकिन ताइवान को नए हथियारों की बिक्री की घोषणा होने और सितंबर में एक चीनी विध्वंसक पोत के यूएसएस डेकाटर के नजदीक आने के बाद स्थगित कर दी गई थी। तब अमेरिकी नौसेना ने इसे ‘असुरक्षित और गैर-पेशेवर कदम’ करार दिया था।

चीन अमेरिका साथ व्यापार वार्ता के लिए राजी

चीन के वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अहम’ है और चीन सरकार ने ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार वार्ता के लिए दरवाजे खुले रखे हैं। चीन का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब दो शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देश ट्रेड वॉर में उलझे हुए हैं। चीन के स्टेट काउंसलर यांग जाइची ने कहा, ‘हमारे (चीन-अमेरिका) व्यापर और आर्थिक संबंधों की प्रकृति आपस में लाभकारी हैं और इसने दोनों देशों और उनकी जनता को काफी लाभ पहुंचाया है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार के जो मुद्दे हैं वे दोनों देशों के अलग अलग आर्थिक ढांचों और विकास स्तर के कारण हैं।’

अमेरिका ने उठाया उइगर मुसलमानों का मुद्दा

शीर्ष स्तर पर हुई इस बैठक में अमेरिका ने चीन के समक्ष उइगर मुसलमानों के अलावा तिब्बती नागरिकों और ईसाई समुदाय लोगों के साथ हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया। वहीं, चीन ने अमेरिका से उसके आंतरिक मामलों में दखल नहीं देने को कहा। हाल के कुछ महीनों में चीन ने अपने पश्चिम प्रांत शिजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं। करीब 10 लाख उइगर मुस्लिमों को एक शिविर में रखा गया है, जहां उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। ऐसा ही स्थिति ईसाइयों की है। हाल में कुछ चर्चों को ढहा दिया गया।

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