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जम्मू-कश्मीर में 2011 की जनगणना के आधार पर की जाएगी परिसीमन प्रक्रिया

श्रीनगर : मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पहला पूर्ण परिसीमन आयोग 1981 में गठित किया गया था, जो 1995 में 14 साल बाद अपनी सिफारिश प्रस्तुत कर सकता था। यह 1981 की जनगणना पर आधारित था। उसके बाद, कोई परिसीमन नहीं हुआ। सभी मांगों और सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए एक मसौदा तैयार किया जाएगा और उनकी टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा जाएगा। सभी टिप्पणियों को देखने के बाद, अंतिम मसौदा (परिसीमन अभ्यास पर) तैयार किया जाएगा। परिसीमन आयोग के अन्य सदस्यों के साथ रिटायर्ड जज रंजन प्रकाश देसाई ने शुक्रवार को जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

रिटायर्ड जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई ने कहा कि हम पिछले 3 दिनों से यहां कई राजनीतिक दल के नेताओं और नागरिक समाज के लोगों से मिले हैं। हमने उनकी बात सुनी है और ये पहली यात्रा नहीं है हम फिर आएंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि यात्रा के दौरान विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों की अच्छी प्रतिक्रिया से अभिभूत हैं। राजनीतिक दलों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है और अनुकूल माहौल में बातचीत हुई है। वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा की 7 और सीटों को जोड़ने के लिए पूरी प्रक्रिया की जा रही है। सुशील चंदन ने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया 2011 की जनगणना के आधार पर की जाएगी। हमने सभी निर्वाचन क्षेत्रों का डेटा और मानचित्र संग्रह शुरू कर दिया है, हमने सभी डीओ और डीसी के साथ वर्चुअल मीटिंग की है। हम सभी डेटा एकत्र करने और विभिन्न पहलुओं की देखभाल करने की कोशिश कर रहे हैं। निर्वाचन क्षेत्रों में जिलों के साथ-साथ तहसीलों का ओवरलैपिंग है।

श्री चंद्रा ने कहा कि हमने अलग-अलग स्थानों का दौरा किया और कश्मीर और जम्मू दोनों संभागों में निर्वाचित प्रतिनिधियों सहित विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की, जिसमें 290 ग्रुप और व्यक्ति, पंजीकृत दल और संगठन थे, हमसे मिलने वाले सभी लोग खुश हैं कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया हो रही है। कुछ समूह ने अपने लिए आरक्षण की मांग की, ये गणितीय अभ्यास नहीं है। एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा और उस पर चर्चा की जाएगी और फिर सार्वजनिक डोमेन में ले जाया जाएगा। हम सभी लोगों की राय लेना चाहते हैं और उसके बाद ही हम अंतिम ड्राफ्ट तैयार करेंगे। हमारे काम को गति मिली है और हम अपना काम पारदर्शिता और न्यायिक तरीके से करेंगे।

पीडीपी के बहिष्कार पर रिटायर्ड जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई ने कहा कि हमें खुले दिल से आना होगा, यहां सभी से मिलने का स्वागत है, यदि कोई हमसे नहीं मिलता है तो हम क्या कह सकते हैं, हम अपनी पहली यात्रा में 800 लोगों और 290 प्रतिनिधिमंडलों से मिले हैं। 1995 में, 12 जिले थे, ये संख्या अब 20 हो गई है। तहसीलों की संख्या 58 से बढ़कर 270 हो गई है। 12 जिलों में निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को जिले की सीमा से आगे बढ़ाया गया है।

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