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जम्मू-कश्मीर: 35 हजार महीने पर हिजबुल-लश्कर कर रहे युवाओं की भर्ती

कश्मीर में अलगाववादियों ने हिजबुल मुजाहिदीन के साथ मिलकर ग्रीष्म अशांति (समर अनरेस्ट) की साजिश बुनी है। सुनिश्चित पडयंत्र के तहत कश्मीरियों की भावनाओं को भड़काने की कोशिश तेज हो गई है। हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए- तैयबा ने कश्मीरी युवकों की भर्ती का अभियान फिर से शुरू कर दिया है।
बेरोजगार युवकों को 35 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन और एके-47 देने का प्रलोभन दिया जा रहा है। आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से अब तक लगभग 250 कश्मीरी युवकों की आतंकी संगठनों में भर्ती हो चुकी है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लश्कर-ए-तैयबा ने पीओके में अपने प्रशिक्षण शिविरों को फिर से कार्यशील बना लिया है।

एलओसी और बार्डर से सटे जंगलों में मोबाइल ट्रेनिंग कैंप भी चलने लगे हैं। इनका ठिकाना कुछ समय बाद बदल दिया जाता है। उत्तरी और दक्षिणी कश्मीर में भी कम से चार ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। आतंकी संगठन इन कैंपों का वीडियो वायरल कर सुरक्षा बलों को चुनौती दे रहे हैं। 

जुलाई 2016 जैसे हालात बनाने की कोशिश

साजिश के तहत सेना और सुरक्षा बलों के सर्च अभियान में खलल डाला जा रहा है। पुलवामा में हिंसक भीड़ के विरोध के कारण सेना को एक-दो स्थानों पर अभियान रोकना पड़ा है। अलगाववादियों और हिजबुल मुजाहिदीन का गठजोड़ स्थानीय आतंकियों की मौत को मुद्दा बनाकर जुलाई 2016 जैसे हालात बनाने की कोशिश में है।

रियासत सरकार 30 वर्ष से कम उम्र के पत्थरबाजों पर चल रहे मुकदमों की वापसी की पहल कर रही है। दूसरी ओर उपद्रवियों ने पत्थरबाजों की दिहाड़ी दोगुना बढ़ाकर 500 रुपये से एक हजार रुपये कर दी है। इससे अलगाववादियों को आसानी से पत्थरबाज मिलने लगे हैं। हिंसा और आगजनी के लिए दिहाड़ी एक हजार से बढ़ाकर दो हजार की गई है।

महाशिवरात्रि के दिन बंद से बढ़ा तनाव

बंद और हड़ताल के कैलेंडर फिर से जारी हो रहे हैं। इसके तहत महाशिवरात्रि के दिन अलगाववादियों ने बंद और हड़ताल का आयोजन किया है। कुलगाम और बांदीपोरा में मुठभेड़ में आतंकियों की मौत के विरोध में बंद के दौरान हिंसा की आशंका है। कश्मीरी पंडितों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़ा त्योहार होता है। अलगाववादियों के नये कैलेंडर ने तनाव बढ़ा दिया है।

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