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जेएनयू हिंसा: व्हाट्सएप ग्रुप के चैट की दिल्ली पुलिस ने मांगी जानकारी, गूगल ने कहा- कोर्ट ऑर्डर लेकर लाइए

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच ने गूगल को पत्र लिखकर 33 लोगों के बारे में जानकारी मांगी थी. ये वो 33 लोग हैं जिन्होंने व्हाट्सएप के दो ग्रुप में जनवरी 2020 में जेएनयू हिंसा (JNU Violence) के दौरान आपस में चैट की थी. लेकिन दिल्ली पुलिस के इस पत्र के जवाब में गूगल की ओर से कहा गया है कि वह ये जानकारी तभी साझा कर सकती है जब पुलिस कोर्ट का आदेश लेकर आए. बताया जा रहा है पिछले साल 5 जनवरी को तकरीबन 100 लोग मुंह ढक कर जेएनयू के भीतर घुसे थे और इन लोगों ने तकरीबन चार घंटे तक यूनिवर्सिटी के भीतर मारपीट की थी. इस दौरान हुई हिंसा में 36 लोग घायल हुए थे, जिसमे छात्र, शिक्षक और स्टाफ के लोग शामिल थे. जिसके बाद इस मामले में एफआईआर (FIR) दर्ज की गई थी. जिसकी जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी.

पुलिस ने व्हाट्सएप और गूगल को पत्र लिखकर दो व्हाट्सएप ग्रुप यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट, फ्रैंड्स ऑफ आरएसएस के 33 सदस्यों की बातचीत, तस्वीर और साझा वीडियो की जानकारी मांगी थी. व्हाट्सएप की ओर से यह जानकारी देने से इनकार कर दिया गया तो गूगल ने अपने जवाब में कहा कि वह जानकारी को तभी साझा करेंगे जब कोर्ट से ऑर्डर लेकर आएंगे. Google LLC द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से संबंधित है, जो अमेरिका में संगठित और संचालित और अमेरिकी कानूनों द्वारा संचालित कंपनी है. उन्होंने कहा कि वे डेटा को सुरक्षित रखेंगे, लेकिन एमएलएटी के तहत अनुरोध पत्र प्राप्त करने के बाद ही इसे साझा करेंगे. पुलिस की ओर से व्हाट्सएप ग्रुप के 33 सदस्यों के इमेल एड्रेस को साझा किया है.

सूत्रों ने कहा कि जांचकर्ताओं को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि उन्हें उन छात्रों के फोन पर कोई व्हाट्सएप ग्रुप नहीं मिला, जिनसे इस घटना के संबंध में पूछताछ की गई थी, यह सुझाव देते हुए कि संदिग्धों ने संभवत अपनी चैट को साफ कर दिया था. पिछले साल 6 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने 9 संदिग्ध लोगों के नाम जारी किए थे, ये सभी छात्र थे, जिसमे से 7 लोगों की पहचान लेफ्ट स्टूडेंट के रूप में हुई थी. जबकि दो लोग आरएसएस की छात्र संगठन के थे. हालांकि पुलिस ने इन दोनों संगठन के नाम जारी नहीं किए हैं. मामले की जांच के लिए 20 पुलिस कर्मियों की एक टीम का गठन किया गया था. पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र कोमल शर्मा से पूछताछ की थी, जिन्होंने दावा किया था कि वह हिंसा के दौरान यूनिवर्सिटी में मौजूद नहीं थीं.

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