National News - राष्ट्रीयPolitical News - राजनीति

त्रिपुरा में दो महीने में ही सत्तासीन हुई भाजपा में पड़ी फूट, हो सकते हैं बडे़े बदलाव

बीस साल से सत्ता में जमे वामपंथियों को त्रिपुरा में गद्दी से उतारने के दो ही महीने में सत्तासीन हुई भाजपा का प्रदेश नेतृत्व फूट का शिकार हो गया है। इस ऐतिहासिक जीत के दो रचयिता मुख्यमंत्री बिप्लब देब और राज्य भाजपा प्रभारी सुनील देवधर ही आपस में उलझ गए हैं और इनके आपसी मतभेद सोशल मीडिया के जरिए सामने आ रहे हैं।

बिप्लब ने पिछले दो महीने में कई विवादास्पद बयान दिए हैं। इनमें महाभारत काल में इंटरनेट, मिस वर्ल्ड डायना हेडन की सुंदरता पर सवाल, बेरोजगारों को गोपालन की सलाह, मैकेनिकल नहीं बल्कि सिविल इंजीनियरों को सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा देनी चाहिए और सरकार में दखल देने वालों के नाखून नोच लिए जाएंगे, जैसे बयान सुर्खियां बटोरते रहे हैं। लेकिन पार्टी आलाकमान को हैरानी इस बात पर हुई कि इन मुद्दों पर बिप्लब देब के विरोध वाली कई विवादास्पद पोस्ट को खुद देवधर और उनके भाई आनंद देवधर ने लाइक या शेयर किया।

भाजपा सूत्रों के अनुसार, इसके पीछे मुख्यमंत्री की कुर्सी का विवाद है, जिसके लिए देवधर ने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से भाजपा में आए सुदीप राय बर्मन की सिफारिश की थी। बर्मन हिमांता बिस्वा सरमा के भी करीबी माने जाते हैं। लेकिन संघ और आलाकमान ने बिप्लब को मुख्यमंत्री और बर्मन को  स्वास्थ्य मंत्री बना दिया। इससे नाराज देवधर ने बिप्लब विरोधियों को बढ़ावा देना शुरू किया। जब बिप्लब मुख्यमंत्रियों की बैठक में भाग लेने दिल्ली आए, खबरें छपीं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें तलब किया है। पार्टी ने पाया कि इन खबरों के पीछे भी देवधर ही थे।

अब किया समर्थन

चूंकि पूरे उत्तर पूर्व इलाके में बिप्लब अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो भाजपा में ही पले-बढ़े हैं। बाकी सब दूसरी पार्टियां छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। इसीलिए उनकी गलतियों को पार्टी ने नजरअंदाज़ कर देवधर को ही घुड़की पिलाई। नतीजतन सुनील देवधर ने पिछले दो महीने में पहली बार बिप्लब के समर्थन में एक प्रेस कांफ्रेंस की और उसकी फोटो के साथ ट्वीट किया – ‘मुख्यमंत्री बिप्लब देब के नेतृत्व में जिस रफ्तार से कार्य शुरू हो गए, उनकी जानकारी विस्तार से दी।’ देवधर ने यह भी सफाई दी कि उनके बिप्लब से कोई मतभेद नहीं हैं। और सोशल मीडिया में उन्होंने किसी नेगेटिव पोस्ट के लाइक नहीं किया। वैसे भी उनका फेसबुक अकाउंट वे खुद नहीं बल्कि उनका ऑफिस चलाता है।

हो सकते हैं बदलाव

चूंकि बिप्लब देव फिलहाल राज्य पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री का दोहरा कार्यभार संभाले हैं, इसलिए उम्मीद है कि जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है। साथ ही सुनील देवधर की त्रिपुरा से विदाई तय मानी जा रही है।

Related Articles

Back to top button