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धर्म संसद में बोले दुनिया भर के साधु-संत- गंगा पर मोदी ने दिखाए सपने, और फिर दिया धोखा

एक तरफ आज जहां अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित धर्म संसद की शुरुआत हुई. वहीं, काशी में भी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नेतृत्व में परम धर्म संसद 1008 की शुरुआत हुई.

धर्म संसद में बोले दुनिया भर के साधु-संत- गंगा पर मोदी ने दिखाए सपने, और फिर दिया धोखा3 दिनों तक चलने वाले इस धर्म संसद में चारों पीठों के शंकराचार्य के प्रतिनिधि, 543 संसदीय क्षेत्रों के प्रतिनिधि, देश और विदेश के साधु-संत समेत संसद में प्रतिनिधित्व कर रहे 36 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है.

काशी धर्म संसद में कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है जिनमें मुख्य द्वार पर काशी में विकास के नाम पर मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ा जाना कॉल गंगा की सफाई है. धर्म संसद में पहुंचे साधु-संतों ने उनके संसदीय क्षेत्र में मंदिरों और मूर्तियों के तोड़े जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर आलोचना की.

साधु-संतों ने पहले दिन की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धोखा देने वाला व्यक्ति बताया जिसने गंगा की सफाई के बड़े-बड़े सपने दिखाए 4.5 साल के बाद भी गंगा की हालत जस की तस है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्म संसद के दौरान अयोध्या में राम मंदिर बनने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि केंद्र सरकार राम मंदिर के मुद्दे को लेकर लगातार राजनीति कर रही है और उसका मंदिर निर्माण का कोई इरादा नहीं है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं राम मंदिर के मुद्दे पर भी कहा कि राम मंदिर के मुद्दे में राजनीतिक दलों के साथ साथ न्यायालय को भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाना मुद्दा नहीं है बल्कि राम जन्मभूमि मुद्दा है और राम जन्मभूमि हिंदुओं की है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राम जन्म भूमि की 67 एकड़ जमीन पहले से ही भारत सरकार के पास है और ऐसे में इस पर मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लेकर आने के बाद लोगों को मूर्ख बनाना है.

स्वामी ने कहा कि जब राम जन्म भूमि की सरस्वत एकड़ जमीन पहले से ही सरकार के पास है तो फिर किस चीज का अध्यादेश लाना है ? स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर राम जन्मभूमि की 67 एकड़ जमीन किसी और के पास होती तो अध्यादेश लाने की बात सही होती.

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