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पहली बार खुद कहा पीएम मोदी ने – मैं इस्तीफ दे दूंगा,हिल गया देश

नोटबंदी के फैसले को लागू हुए एक महीना बीत चुका है। इसके फायदे कोimg_20161017063427 लेकर सरकार लगातार बयान दे रही है। पर असल कहानी इसके लागू करने से पहले की है

फैसले को सीक्रेट रखने के लिए नरेंद्र मोदी ने बड़ी प्लानिंग की थी। रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया समेत 6 लोगों की एक टीम बनी थी। ये मोदी के घर पर गुप्त रूप से काम करते थे। बताया जाता है कि इस टीम में शामिल अफसरों को गोपनीयता बरतने की शपथ दिलाई गई थी।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हसमुख अढिया और 5 ब्यूरोक्रेट्स का सिलेक्शन सोच-समझ के किया गया था। ये सारे लाइम लाइट से दूर थे। इसके अलावा इन अफसरों को मामले की पूरी समझ थी। मोदी के घर पर दो रूम में ये काम करते थे। इस मामले की सारी रिसर्च यहीं हुई। समझा जाता है कि मोदी ने इकोनॉमी रिफॉर्म की ये प्लानिंग 2014 में सत्ता में आने के बाद ही की थी।
एक साल तक चली रिसर्च, गुजराती में भी होती थी बातचीत
8 नवंबर को मोदी के नोटबंदी के फैसले के तुरंत बाद अधिया ने ट्वीट किया था।  कहा था, ”कालेधन पर लगाम कसने के लिए यह सरकार का लिया सबसे बड़ा और बोल्ड कदम है।”  सितंबर 2015 में अधिया को रेवेन्यू सेक्रेटरी बनाया गया था। इसके बाद वे अरुण जेटली को रिपोर्ट करने लगे। इसका मतलब यह भी हुआ कि अब अधिया सीधे पीएम मोदी से संपर्क कर सकते थे और जब भी किसी मुद्दे की चर्चा करनी होती थी तो ये दोनों गुजराती में बातचीत भी करत
पीएम के एक करीबी सहयोगी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पिछले एक साल से ज्यादा से मोदी, वित्त मंत्रालय के अफसर, आरबीआई की टीम करप्शन और काला धन के मसले पर काम कर रही थी।
पीएम ने मंत्रियों से कहा था- पॉलिसी फेल हुई तो जिम्मेदारी मेरी,इस्तीफ दे दूंगा
 फैसला लागू करने के पहले जब मोदी ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई तो वहां मंत्रियों से कहा था, ”अगर नोटबंदी की पॉलिसी फेल हुई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी होगी।”
कब लागू हुआ था नोटबंदी का फैसला?
मोदी ने 8 नवंबर को रात 8 बजे देश को संबोधित किया था। उसी दौरान उन्होंने 500-1000 की नोट को बंद करने का एलान किया था। आरबीआई ने फिर 2000 और 500 के नए नोट उतारे हैं।

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