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पहली बार राष्ट्रपति शासन के बीच बहुमत के लिए मतदान

h-1437575524एजेन्सी/ उत्तराखंड में राजनीतिक भूचाल के बीच नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को एेतिहासिक फैसला दिया। राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस यूसी ध्यानी की बैंच ने कांग्रेस को 31 मार्च को बहुमत साबित करने का आदेश दिया। वहीं बागी विधायकों की बर्खास्तगी की याचिका पर कहा कि ये 9 बागी भी बहुमत के लिए होने वाले मतदान में हिस्सा लेंगे। हालांकि उनके मत अलग रखे जाएंगे। हाईकोर्ट के इस फैसले में राष्ट्रपति शासन को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। कानूनविदों का कहना है कि इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हो और बहुमत साबित करने के लिए मतदान भी हो। भाजपा-कांग्रेस ने फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उनकी भी समझ में नहीं आ रहा है कि इससे आखिर होगा क्या? 

सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर

वकील एमएल शर्मा ने विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है। याचिका में मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। 

ये कहा कोर्ट ने…

कांग्रेस सदन में 31 मार्च को बहुमत साबित करे। इस दौरान बागी विधायक भी मत दे सकेंगे। हालांकि उनके मत तब तक अलग रखे जाएंगे जब तक राष्ट्रपति शासन के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला नहीं आ जाता। वोटिंग के दौरान हाईकोर्ट का एक पर्यवेक्षक सदन में उपस्थित रहेगा।

फैसले को लेकर दुविधा में संविधान विशेषज्ञ

फैसला पेचीदा है। समझ में नहीं आ रहा है कि हरीश रावत मुख्यमंत्री के रूप में बहुमत हासिल करेंगे या नेता के रूप में। क्योंकि राष्ट्रपति शासन के चलते वे मुख्यमंत्री तो हैं ही नहीं। वोटिंग के बाद बागी विधायकों का फैसला कब तक आएगा, यह स्पष्ट नहीं है।

पीडीटी आचारी, लोकसभा के पूर्व महासचिव

फैसले में दुविधा वाली बातें हैं। बागी विधायकों की वोटिंग का फैसला क्या होगा? स्पीकर के फैसले का क्या हुआ? सब बाद में पता चल सकेगा।

सुभाष कश्यप, संविधान विशेषज्ञ

केंद्र के लिए यह सबक है। एक बात तो साबित हो गई है कि 28 मार्च को बहुमत साबित करने का हरीश रावत को मौका मिलना चाहिए था। उसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं था। जबकि केंद्र इसे असंवैधानिक बता रहा था। संभवत: बागियों पर फैसले के बाद ही स्थिति साफ होगी।

विवेक तन्खा, कानूनविद

कांग्रेस-भाजपा में बेचैनी

कांग्रेस में हाईकोर्ट के फैसले को लेकर खुशी है वहीं बागी विधायकों के वोटिंग के फैसले को लेकर बेचैनी भी। पार्टी दो जजों की बैंच के पास अपील करने का मन बना रही है। बहुमत साबित करने के आदेश के खिलाफ भाजपा भी अपर बैंच में अपील करने जा रही है। पार्टी का कहना है कि राष्ट्रपति शासन पर कोर्ट स्टे नहीं लगा सकता है।

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