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पाक की सियासत का नया कप्तान

शिवम तिवारी

यदि आप दुनिया के सभी देशों द्वारा अपने यहां शिक्षा पर खर्च किए जाने वाले बजट पर नजर डालें तो सबसे कम बजट पाकिस्तान आवंटित करता है। लेकिन अब इसी पाकिस्तान की कमान ऑक्सफोर्ड में पढ़े इमरान खान नियाजी के हाथों में लगभग पहुंच चुकी है। क्रिकेट के मैदान को अलविदा कहने के बाद राजनीति की पिच पर बीते 22 सालों से ‘रिवर्स स्विंग’ का प्रयोग करने के बाद अब जाकर इमरान को सफलता हासिल हुई है। हालांकि पाकिस्तान में आम चुनाव में इमरान खान के लिए ‘फिल्डिंग’ वहां की सेना और खुफिया एजेन्सी आईएसआई ने ही ‘सेट’ की थी और उसी का नतीजा है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने सर्वाधिक सींटें हासिल कर अपना परचम फहराया। सेना और आईएसआई की जो भी भूमिका रही हो लेकिन यह भी सच है कि वहां की अवाम का साथ भी इमरान को खुलकर मिला। वहीं कट्टरपंथ में जकड़ी पाकिस्तान की जनता ने आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले हाफिज सईद को आईना दिखाकर यह संकेत दिए कि अब वहां भी बदलाव की बयार बह रही है। हाफिज ने रातोंरात ‘अल्लाह हो अकबर’ नाम से राजनैतिक दल बनाया और 265 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए लेकिन उसका एक भी नुमांइदा जीत का परचम नहीं लहरा सका। यहां तक कि वह पंजाब में वह अपने बेटे हाफिज तलहा और दामाद खालिद वलीद को भी जितवा नहीं पाया। हाफिज सईद की तरह के ही एक और कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान के मुखिया सिराज-उल-हक को भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। हालांकि सरकार बनाने के लिए इमरान भी जरूरी संख्या बल अपने दम पर नहीं जुटा पाये हैं और उन्हें निर्दलीयों तथा अन्य छोटे-छोटे दलों की मदद लेनी पड़ेगी।
साल 1992 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने वल्र्ड कप जीतकर नया इतिहास कायम किया था और उस समय टीम के कप्तान इमरान खान थे। इमरान ने साल 1996 में राजनीति में नई पारी का आगाज किया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया और पाकिस्तान के नए ‘कैप्टन’ बनने की ओर बढ़ रहे इमरान, पाक के पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने तीन प्रांतीय और राजधानी की एक सीट से चुनाव जीता है। इससे पहले यह कारनामा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की मुखिया और पाक की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने किया था। बेनजीर ने प्रांतीय इकाई में नेशनल एसेंबली के लिए एक से ज्यादा सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था। इमरान खान ने दो प्रांतीय इकाईयों, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) से नेशनल एसेंबली के लिए सीटें जीतकर बेनजीर के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। बेनजीर ने साल 1988 में हुए आम चुनावों में सिंध के लरकाना और पंजाब के लाहौर से चुनाव जीता था। इसके बाद अगले चुनावों में बेनजीर ने पेशावर सीट पर अपनी किस्मत आजमाई थी। हालांकि उस समय बेनजीर को अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के गुलाम अहमद बिल्लौर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। 25 जुलाई को हुए आम चुनावों में इमरान, मियांवली, रावलपिंडी और पेशावर से नेशनल एसेंबली के लिए चुनाव जीता है। इमरान ने पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के उम्मीदवार को मियांवली और रावलपिंडी में हराया तो पेशावर में एएनपी के उन्हीं गुलाम अहमद बिल्लौर को हराया है जिन्होंने बेनजीर को मात दी थी।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान में नयी सरकार तो बन रही है, क्या पाकिस्तान का मुस्तकबिल भी बदलेगा। साथ ही भारत के साथ पाकिस्तान के सम्बन्ध अब कौन सा आकार लेंगे। अपनी पहली ही प्रेस कांफ्रेंस में इमरान खान ने कहा कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के लिए असल मसला कश्मीर ही है लेकिन बातचीत के जरिए कोई भी मसला हल किया जा सकता है। इमरान ने यह भी कहा कि अगर इस दिशा में हिन्दुस्तान एक कदम चलेगा तो हम दो कदम चलेंगे। इसके अलावा इमरान ने अफगानिस्तान, चीन और अमेरिका के साथ वह कैसे रिश्ते रखना चाहेंगे, इस पर भी अपना पक्ष रखा। हिन्दुस्तान को लेकर इमरान ने जो कुछ कहा उसके कई मायने निकाले जा सकते हैं लेकिन बातचीत कर कश्मीर मसला हल होता है तो इससे बेहतर और क्या होगा। यह भी देखना अभी बाकी है कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का रवैया नयी सरकार और उसके मुखिया के प्रति कैसा रहता है। अभी तक यह इतिहास रहा है कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार भी बाद में सेना और आईएसआई की कठपुतली बनकर रह गयीं।

इमरान खान: एक शख्सियत

65 वर्षीय इमरान अहमद खान नियाजी का जन्म पाकिस्तान के लाहौर में 5 अक्टूबर, 1952 को हुआ। पश्तूनों के बुर्की कबीले के इमरान राजनीति में आने से पहले लोकप्रिय और शानदार क्रिकेटर थे। इमरान की जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव व विवाद देखने को मिले हैं। लेकिन इसके बावजूद वह ना सिर्फ एक सशक्त शख्सियत के रूप में उभरकर आए, बल्कि 2018 के पाकिस्तान आम चुनाव में उनकी पार्टी पीटीआई ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की। इमरान ने अपनी पढ़ाई वर्सेस्टर के एचिसन और ऑक्सफोर्ड के केबल कॉलेज से पूरी की। महज 13 साल की उम्र से इमरान ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान के लिए अपना डेब्यू 1971 में बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ 18 साल की उम्र में किया। लगभग दो दशक तक क्रिकेट खेलने के दौरान उन्होंने 1982-1992 तक पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की कमान संभाली और 1992 में पाकिस्तान को पहला और इकलौता क्रिकेट वल्र्डकप जिताया। इमरान पाकिस्तान के सबसे सफल क्रिकेटर्स में रहे और पाकिस्तान टीम को आक्रामक बनाने और जीतना सिखाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
1992 में क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद इमरान ने जनहित और लोक कल्याण कार्य करने शुरू किए। उन्होंने अपनी मां के नाम पर एक कैंसर अस्पताल भी खोला। इसके साथ ही युवाओं के पढ़ने के लिए कॉलेज भी बनवाया। इमरान खान की निजी जिन्दगी में भी खासे उतार-चढ़ाव आये। कई लड़कियों और अभिनेत्रियों के साथ उनके अफेयर की खबर उड़ती रही। जिनमें भारतीय अदाकारा जीनत अमान और पूर्व पाकिस्तानी पीएम बेनजीर भुट्टो का नाम भी शामिल है। इमरान ने पहली शादी 16 मई 1995 में जेमाइमा गोल्डस्मिथ से की, हालांकि 9 साल बाद आपसी मंजूरी से दोनों अलग हो गए। इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी 2015 में ब्रिटिश-पाकिस्तानी पत्रकार रेहम खान से रचाई। लेकिन 10 महीने बाद ही दोनों ने तलाक ले लिया और फिर इसके बाद रेहम ने अपनी किताब में इमरान पर कई संगीन आरोप लगाए। इसके बाद इमरान ने अपनी तीसरी शादी 2018 में बुशरा मानेका से की और अभी तक उन्हीं के साथ जिंदगी जी रहे हैं। इमरान ने अप्रैल 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी बनाकर राजनीति में कदम रखा। लेकिन पहले चुनाव में उनकी किस्मत अच्छी नहीं रही और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन ये शुरुआत थी, 2013 के चुनाव में इमरान की पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अब 2018 के पाकिस्तान आम चुनाव में इमरान की पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी है और वह वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं।

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