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बिग ब्रेकिंग : यूपी में ‘दुर्लभ’ है स्थिर सरकार, बैसाखी के सहारे चलती आई है सूबे की सियासत

उत्तर प्रदेश के चुनाव के बाद सभी की निगाहें एग्जिट पोल पर थी। हर कोई टकटकी लगाए बैठे था कि इस बार सूबे में किस पार्टी को बहुमत मिलेगा। इस बार के एग्जिट पोल में कुछ लोग भाजपा को बहुमत दे रहे हैं, तो कुछ उसे सबसे बड़ी पार्टी बता रहे हैं। तमाम अनुमानों के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी सभी विकल्पों पर विचार करेगी। हालांकि तमाम बातों की बीच त्रिशंकु विधानसभा, नए गठबंधन, विभाजन, मनमुटाव, सियासी खींचतान, राजनैतिक उठा-पटक, सत्ता का गणित, राष्ट्रपति शासन, मध्यावधि चुनावों जैसे तमाम सवाल हर पार्टी के गले की हड्डी बन चुके हैं।
बिग ब्रेकिंग : यूपी में 'दुर्लभ' है स्थिर सरकार, बैसाखी के सहारे चलती आई है सूबे की सियासत
 
उत्तर प्रदेश ने यह सब देखा है। इनमें से किसी भी बात से यूपी की राजनीति अनजान नहीं है। 2007 में पहले बसपा और फिर 2012 में सपा को पूर्ण बहुमत के साथ स्थाई सरकार देने वाले इस राज्य का इतिहास कुछ अलग रहा है। 1952 से यह राज्य 16 विधानसभाएं देख चुका है, जिसमें सिर्फ 7 बार ही किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिली है। बाकी 9 बार सरकारें आई और चलीं गई, जिसमें कुछ ने 2-3 साल तक कार्यकाल संभाला और कई चंद दिनों में ही ढह गईं।

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उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसने देश को गैर-कांग्रेसी सरकार दी। 1967 में चौधरी चरण सिंह और उनके साथियों ने कांग्रेस से मोहभंग कर भारतीय क्रांति दल बनाया और सत्ता भी हासिल की। यह जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि इससे हार से पहले कांग्रेस को अजेय माना जाता रहा था। महंगाई और सूखे की मार से सुलगी आग ने कांग्रेस को लेपेटे में लिया।

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