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बीमार पिता की मदद के लिए रितु ने मुक्केबाजी छोड़ी, चंडीगढ़ में बेच रही पार्किंग टिकट

नई दिल्ली: पूरा देश टोक्यो ओलंपिक में खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन से खुश है। पदक विजेताओं पर इनामों की बारिश हो रही है। लेकिन हकीकत कुछ अलग है। चंडीगढ़ में एक युवा मुक्केबाज रितु प्रोत्साहन न मिलने के कारण खेल छोड़कर पार्किंग टिकट बेच रही है।

रितु का कहना है कि उसने राष्ट्रीय स्तर पर कई मैच खेले हैं और पदक जीते हैं। परिवार ने उसका समर्थन किया लेकिन उसे संस्थानों से कोई समर्थन या छात्रवृत्ति नहीं मिली। उसके पिता की तबीयत खराब है, इसलिए उसे खेल छोड़ना पड़ा। उम्मीद है कि सरकार मदद करेगी।

अपने हॉकी खिलाड़ियों को सम्मानित करेगी चंडीगढ़ हॉकी अकादमी टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद हॉकी में मेडल जीतने वाली टीम इंडिया के दो सदस्य गुरजंट सिंह और रुपिंदर पाल सिंह चंडीगढ़ स्थित हॉकी अकादमी के ट्रेनी रहे हैं। दोनों ने हॉकी की नर्सरी में करीब पांच से छह साल बिताए और हॉकी की बारीकियों को सीखा। हॉकी अकादमी से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि दोनों खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत के बाद मुकाम हासिल किया है।

ओलंपिक मैचों में रुपिंदर पाल सिंह ने चार और गुरजंट ने तीन गोल दागे। दोनों की कामयाबी से हॉकी अकादमी में खुशी का माहौल है। हॉकी अकादमी के प्रमुख कोच गुरमिंदर सिंह ने बताया कि दोनों अपने खेल से अकादमी का नाम रोशन किया है। दोनों खिलाड़ियों पर पूरे देश को गर्व है।

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