अद्धयात्मदस्तक-विशेष

माला में 108 मणिकाएं ही क्यों!

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डी.एन. वर्मा

हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव असीम ऊर्जा अथवा शक्ति के आराध्य हैं और सम्पूर्ण बह्माण्ड को चला रहे हैं तथा इनकी पूजा का महत्व विभिन्न हिन्दू धर्म ग्रंथों में प्रकट किया गया है। इसी प्रकार ब्रह्मा को संसारिक जीवों की उत्पत्ति का और विष्णु को संसारिक क्रियाकलापों को चलाने का द्योतक माना गया है। जब हम रुद्राक्ष की 108 मणिकाओं का जाप मंत्रों के साथ करते हैं तो हमारा उद्देश्य परम शक्ति भगवान शिव से जुड़ने की होती है। तो क्या हम 108 बार मंत्रों की उच्चारण से असीम शक्तिवान हमारे ईष्ट देव सूर्य, जो शिव हैं, उन तक पहुंच जाते है? जी हां। यही बात तुलसी की माला पर भी लागू होती है, जो 108 मणिकाओं की होती है, उसके 108 बार जाप से हम चन्द्रमा तक पहुंच जाते हैं। इसे अपने शोध के माध्यम से सिद्ध किया है स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (एस.एम.एस.) व वैदिक विज्ञान केन्द्र, लखनऊ के निदेशक प्रो. भरत राज सिंह ने। डा. सिंह वैदिक विज्ञान केन्द्र के माध्यम से पुराणों में वर्णित तथ्यों पर शोध कर रहे हैं और उसके वैज्ञानिक कारणों की खोज कर रहे हैं।
विशेष फलदायी है 108 मणिकाओं की रुद्राक्ष की माला
rudrakshप्रोफेसर भरत राज सिंह ने बताया कि रुद्राक्ष अपने विभिन्न गुणों के कारण व्यक्ति को दिया गया, ‘प्रकृति का एक अमूल्य उपहार है’। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से निकले जल बिन्दुओं से हुई है जिसके फलस्वरूप रुद्राक्ष का महत्व जगजाहिर है। रुद्राक्ष को धारण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा इसको धारण करके की गई पूजा हरिद्वार, काशी, गंगा जैसे तीर्थस्थलों के समान फल प्रदान करती है। रुद्राक्ष की माला द्वारा मंत्र उच्चारण करने से फल प्राप्ति की संभावना कई गुना बढ़ जाती है तथा इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष की माला अष्टोत्तर शत अर्थात 108 रुद्राक्षों की या 54 रुद्राक्षों की होनी चाहिए अन्यथा सत्ताईस दाने की तो अवश्य हो। इस संख्या में इन रुद्राक्ष मणिकों को पहनना विशेष फलदायी माना गया है। शिव भगवान का पूजन एवं मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से करना बहुत प्रभावी माना गया है तथा अलग-अलग रुद्राक्ष के दानों की माला से जाप या पूजन करने से विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति होती है।

निरोग करती है तुलसी की 108 मणिकाओं की माला
tulasiभारत में पुरातन काल से ही तुलसी के औषधीय गुणों को काफी महत्ता प्रदान की गयी है तथा शारीरिक कष्टों के निवारण में तुलसी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया है। इसे चन्द्रमा को प्रतीक माना गया है। तुलसी में शोध के उपरांत विभिन्न स्वास्थ्य लाभ के गुणों की पुष्टि होती हैं, जैसे- तुलसी की पत्तियां कफ साफ कर खांसी में लाभप्रद, त्वचा के रोगों को दूर करने, काढ़ा पीने से सिरदर्द में राहत, इलाइची अदरक व तुलसी की पत्तियों के सेवन से दस्त-उल्टी दूर होना, तुलसी की 8-10 पत्तियां रोजाना खाने से तनाव दूर होता है, तुलसी के अर्क से आंख की समस्या में लाभ, तुलसी के अर्क में कपूर मिलाकर कान में डालने से सुनने की समस्या दूर होना, तुलसी की पत्तियां खाने व काढ़ा पीने से दमा व सांस की तकलीफ दूर होना और रोजाना तुलसी की पत्तियां चबाने मुह का संक्रमण दूर होने का लाभ प्राप्त होता है। यदि तुलसी की पत्तियों में इतने गुण हैं, तो इसकी 108 मणिकाओं की माला को धारण कर पाठ करने से शारीरिक सभी कष्टों का निवारण अवश्य होगा।
पृथ्वी से सूर्य की दूरी बताती है रुद्राक्ष की माला
सूर्य का व्यास क्या है? यह है-13,92,684 किलोमीटर। यदि इसे 108 से गुणा करते हैं तो यह दूरी आती है- 15,04,09,872 किलोमीटर (अर्थात 15 करोड़ 4 लाख 9 हजार 8 सौ बहत्तर किलोमीटर)। उपरोक्त दूरी पृथ्वी से सूर्य की है, जो आज तक के रिकार्ड के हिसाब से 14,96,00,000 किलोमीटर (14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर) के लगभग आंकी गयी है। इस प्रकार रुद्राक्ष की एक मणिका को सूर्य का व्यास मानते हुए 108 बार मंत्रों के जाप से सूर्य शक्ति का प्रवाह शरीर में प्राप्त होने लगता है।

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प्रो. भरत राज सिंह, निदेशक एसएमएस व वैदिक विज्ञान केन्द्र, लखनऊ

तुलसी की माला ने साबित की चंद्रमा की दूरी
चन्द्रमा का व्यास क्या है? यह है-3,474 किलोमीटर। यदि इसे 108 से गुणा करते हैं तो यह दूरी आती है 3,75,192 किलोमीटर (अर्थात 3 लाख 75 हजार 1 सौ बानवे)। उपरोक्त दूरी पृथ्वी से चन्द्रमा की है जो आज तक के रिकार्ड के हिसाब से 3, 70, 300 किलोमीटर (3 लाख 70 हजार 3 सौ किलोमीटर) के लगभग आंकी गयी है। इस प्रकार तुलसी की मणिका को चन्द्रमा का व्यास मानते हुए 108 बार मंत्रों के जाप से चन्द्र शक्ति प्राप्त हो जाती है और सभी दुखों का विनाश हो जाता है। उपरोक्त तथ्य अचम्भित करने वाले अवश्य हैं परन्तु यह भारत की वैदिक विज्ञान की एक अनोखी पहल है, जिससे शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में मंत्रों का अद्भुत उपयोग आदिकाल से होता रहा है।
इस प्रकार जहां एक तरफ रुद्राक्ष की 108 मणिकाओं की माला के जाप से एक अनोखी ऊर्जा शक्ति पैदा कर अच्छे कार्य के साथ-साथ आयु में वृद्धि होती है, वही दूसरी तरफ तुलसी की 108 मणिकाओं की माला के जाप से चन्द्र शक्तिओं का लाभ उठाते हुए निरोग रहकर, लोगों को अच्छे कर्म से जोड़ कर संसारिक सृष्टि को चलाने का दायित्व का निर्वाहन होता है। इससे साबित होता है कि वैदिक काल में 108 संख्या का विशेष महत्व था। आइये भारत के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने हेतु वैदिक ज्ञान को लोगों में फैलाएं तथा इनकी सत्यता की परख को दुनिया के सामने रखकर, भारत की पौराणिक वैदिक धरोहर को वषुधैव कुटुम्बकम् से जोड़कर जीवन की सार्थकता को जनमानस के लिए उपयोगी बनायें। ’

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