फीचर्डराष्ट्रीय

मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा का दिन, आज राज्यसभा में पेश होगा ट्रिपल तलाक बिल

नई दिल्ली: मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक कहने के चलन को फौजदारी अपराध बनाने संबंधी विधेयक को आज राज्यसभा में रखा जाएगा. तीन तलाक बिल को लेकर राज्यसभा में भारी हंगामा होने के आसार हैं. सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार इस बिल को संसदीय समिति को भेजने को तैयार नहीं है और चाहती है कि विपक्ष सदन में इस बिल का विरोध करे. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार चाहेगी कि कांग्रेस संशोधन पर बल नहीं देने के अपने उसी रूख पर कायम रहे जो उसने लोकसभा में अपनाया था.मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा का दिन, आज राज्यसभा में पेश होगा ट्रिपल तलाक बिल

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमारी कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से निरंतर बातचीत चल रही है. हमने कांग्रेस से कहा है कि चूंकि उन्होंने लोकसभा में किसी संशोधन पर बल नहीं दिया है, उन्हें राज्यसभा में भी यही करना चाहिए. कांग्रेस ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर लोकसभा में संशोधन पेश किया था किन्तु उन्हें पारित करवाने पर उसने बल नहीं दिया. कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रेणुका चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा महिलाओं के सशक्तिकरण के पक्ष में रही है किन्तु पार्टी को यह देखना होगा कि विधेयक में वास्तव में क्या है. 

रेणुका ने कहा, महिलाओं के सशक्तिकरण के पक्ष में हम खड़े न हो, यह सवाल ही नहीं उठता. इसका कोई स्पष्ट समाधान नहीं है. हमें देखना होगा कि चर्चा कैसे होती है. वास्तव में क्या शामिल किया गया है और इसे कैसे लागू किया जा सकता है. साथ ही यह तलाक के हर प्रावधान के तहत सभी महिलाओं के लिए समान होना चाहिए.

यह केवल तलाक ए बिद्दत है. शिवसेना जैसी भाजपा की कुछ सहयोगी पार्टियां इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रही हैं पर सरकार का मानना है कि इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि इस पर लोकसभा में व्यापक चर्चा हो चुकी है. केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा, किसी समिति में जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है. तीन तलाक से प्रभावित महिलाओं का क्या होगा? देश में इस बात को लेकर व्यापक सहमति है कि कठोर कानून होना चाहिए. मुस्लिम महिलाओं के संरक्षण के लिए कोई एहतियाती तंत्र होना चाहिए. मैं आश्वस्त हूं कि राज्यसभा में सभी पार्टियां सहयोग करेंगी.

लोकसभा में पारित हो चुका है विधेयक

बता दें कि लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है. एक बार में तीन तलाक या तलाके बिद्दत के अपराध में पति को तीन साल की सजा के प्रावधान वाले इस विधेयक को पिछले सप्ताह लोकसभा में पारित किया गया था.

विधेयक में यह है प्रावधान

इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक पीड़ित महिला अपने और अपने अल्पवय बच्चों के लिए गुजारा भत्ता पाने के मकसद से मजिस्ट्रेट से सम्पर्क कर सकती है. पीड़िता मजिस्ट्रेट से अपने अल्पवय बच्चों के संरक्षण की मांग कर सकती है. इस प्रस्तावित कानून के अनुसार मौके पर बोला गया तलाक, भले ही वह मौखिक, लिखित अथवा ईमेल, एसएमएस और व्हाट्स एप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से हो, वह गैरकानूनी एवं निष्प्रभावी हो जाएगा.

Related Articles

Back to top button