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राफेल मामला: कांग्रेस ने की जेपीसी जांच की मांग, भाजपा ने कहा- राहुल गांधी राफेल की प्रतिस्पर्धी कंपनी के हैं एजेंट

नई दिल्ली। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक एवं चुनावी मुद्दा रहा राफेल करार फ्रांस में एक एनजीओ की शिकायत पर बिठाई गई जांच के बाद फिर से भारत में भी गरमाने लगा है। कांग्रेस ने इसमें भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए न सिर्फ जेपीसी जांच की मांग की है बल्कि यह संकेत भी दे दिया है कि आगामी संसद सत्र में भी यह मुद्दा गरमाएगा।

भाजपा ने पलटवार करते हुए आशंका जताई है कि राहुल गांधी किसी राफेल की किसी प्रतिस्पर्धी कंपनी के एजेंट हैं इसीलिए सुप्रीम कोर्ट और सीएजी से इस सौदे को क्लीन चिट दिए जाने के बावजूद इसे लगातार झूठ बोलकर विवाद में घसीटने की कोशिश करते हैं।
सुरजेवाला ने कहा- राफेल की जांच शुरू, जांच के दायरे में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद, राष्ट्रपति मैक्रों

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि फ्रांस की पब्लिक प्रासिक्यूशन सर्विस ने राफेल कागजात में भ्रष्टाचार, क्रोनी कैपिटलिज्म, अनुचित प्रभाव आदि की जांच शुरू की है। जांच के दायरे में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद, मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और वहां के पूर्व रक्षा मंत्री और वर्तमान विदेश मंत्री हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि फ्रांस में इस बेहद संवेदनशील मामले की जांच के लिए एक जज की नियुक्ति की गई है और ऐसे में प्रधानमंत्री को भी राफेल सौदे में हुई अनियमितता की जेपीसी से जांच करानी चाहिए। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के खजाने को चुना लगाने का मामला है, जिसकी सही जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ही कर सकती है और सुप्रीम कोर्ट इस तरह की जांच में सक्षम नहीं है।

भाजपा की ओर से प्रवक्ता सांबित पात्रा ने जवाब में राहुल के नौ झूठ गिनाए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने राफेल के अलग-अलग दाम बताए, आफसेट में रिलायंस के जरिए सरकार को घसीटने की कोशिश, जबकि इसमें कई और कंपनियां भी शामिल थीं। कभी फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों का नाम लेकर कहा कि उन्होंने राफेल डील से जुड़ी सारी जानकारी साझा करने की बात कही है, जबकि खुद फ्रांस सरकार ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं किया जा सकता है। पात्रा ने कहा कि यह राहुल के लिए तमाचा था, लेकिन वह बार-बार झूठ बोलते रहे ताकि उनकी राजनीति भी चले और संभवत: वह जिस कंपनी को लाभ पहुंचाना चाहते हैं वह भी पूरा हो।

पात्रा ने याद दिलाया कि कई लोग सुप्रीम कोर्ट भी गए थे और गोपनीयता के कारण सरकार की ओर से बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को राफेल की कीमत समेत पूरी जानकारी दे दी गई थी। उसे देखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी क्लीन चिट दे दी, लेकिन कांग्रेस की राजनीति खत्म नहीं हो रही है। राहुल को सुप्रीम कोर्ट से भी माफी मांगनी पड़ी थी। पात्रा ने कहा कि अगर फ्रांस में किसी एनजीओ ने शिकायत की है और उसकी जांच हो रही है तो उससे भारत के साथ डील पर कोई फर्क नहीं पड़ता है और न ही यहां भ्रष्टाचार की बात हो रही है। यह जरूर साबित होता है कि कांग्रेस को न तो भारत के सुप्रीम कोर्ट में विश्वास है और न ही सीएजी जैसी संस्था पर।

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