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राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुलह के संकेत

Hashim-Ansariअयोध्या । विवादित ढांचे के विध्वंस के 21 वर्ष बाद यह पहला मौका है जब राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुलह के संकेत मिल रहे हैं। यह सब बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार हाशिम अंसारी की पहल के कारण हुआ है। अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वह दोनों पक्षों के बीच सुलह के जरिये सर्वमान्य हल की पहल करें। वह मोदी से मिलना भी चाहते हैं। अंसारी की इच्छा के अनुरूप अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है। ढांचा विध्वंस की बरसी की पूर्व संध्या पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञान दास ने कहा कि अंसारी का ताजा फैसला और नई पहल स्वागत के योग्य है। प्रधानमंत्री को उनके प्रस्ताव पर विचार कर विवाद के हल के लिए पहल करनी चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि मोदी बातचीत से समाधान निकालने की प्रक्रिया शुरू करेंगे तो इसमें मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़े दोनों पक्ष शामिल हो सकते हैं।
उधर, मंदिर-मस्जिद के पक्षकार निर्मोही अखाड़े के महंत भाष्कर दास ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और पीवी नरसिंह राव सरकार ने भी अयोध्या विवाद के समाधान के लिए पहल की थी। यदि मोदी ऐसा करते हैं तो कोई नई बात नहीं होगी। अटल सरकार में तो महाधिवक्ता के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मुकदमे की तेजी से सुनवाई के लिए निर्देशित भी किया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मसले में त्वरित सुनवाई की आग्रह कर सकते हैं। साथ ही, कोर्ट के बाहर भी विवाद से जुड़े हिन्दू व मुस्लिम पक्षकारों के बीच वार्ता से हल निकालने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। मोदी अगर अंसारी के प्रस्ताव को गंभीरता से लेंगे तो विवाद का समाधान एक-दो वर्ष में निकल सकता है। रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य और दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने भी प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा जताते हुए कहा कि यदि वे प्रयास शुरू करेंगे तो निश्चित ही मंदिर-मस्जिद मसले का सर्वमान्य हल जल्द ही ढूंढ़ा जा सकता है।

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