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लाखों बच्चों से दुष्कर्म, फैसला सिर्फ 229 में

नई दिल्ली (एजेंसी) : साल 2016 में देश में एक लाख से अधिक बच्चे यौन हिंसा के शिकार हुए। यह आंकड़े ऐसे हैं जो थानों तक पहुंचे हैं, लेकिन हाल यह है कि अभी तक इनमें से मात्र 229 मामलों में फैसले आए हैं, वह भी निचली अदालत से। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष ये आंकड़े हाल में पेश किए गए, जस्टिस मिश्रा ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से कहा कि वह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) कानून के तहत दर्ज उन लंबित मामलों के आंकड़ों को एकत्र करें और उनकी तुलना करें जिनमें पीड़ित बच्चे हैं। अधिनियम के मुताबिक ऐसे मामलों में निचली अदालत के संज्ञान में आरोप पत्र आने के बाद से एक वर्ष के भीतर फैसला आना चाहिए।
आठ माह की मासूम से बलात्कार के मामले में जनहित याचिका डालने वाले अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2016 के आंकड़ों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा था कि पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज कुल 1,01,326 मामलों में से केवल 229 पर ही उस वर्ष निचली अदालतों ने फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस पर गौर किया और कहा कि वह इस तरह के लंबित मामलों को लेकर संपूर्णतावादी दृष्टिकोण अपनाएगी और समस्या से निबटने के लिए तरीके खोजेगी। शीर्ष अदालत ने देश भर के हाईकोर्ट से चार हफ्ते के भीतर रिपोर्ट मांगी।

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