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लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के बुरी तरह हार के बाद अब मुलायम चाहते हैं शिवपाल की वापसी…

चुनाव में हार के बाद सपा लौटेगी अपनी पुरानी राह पर। पार्टी से निकाले गए लोगों को फिर जोड़ा जाएगा। हार की समीक्षा के बाद सपा एक बार फिर संघर्ष और संवाद के रास्ते पर बढ़ेगी। अब पार्टी विधानसभा उपचुनावों में पूरी ताकत से उतरने की रणनीति पर काम कर रही है। दरअसल, भाजपा को रोकने के लिए बसपा व रालोद से गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन फिर भी कई कारणों से उसे अच्छे परिणाम नहीं मिले।  उसे सिर्फ पांच सीटों पर कामयाबी मिली। मुलायम परिवार के तीन सदस्य डिम्पल यादव, धर्मेंद्र यादव व अक्षय यादव चुनाव हार गए। सूत्रों के अनुसार गठबंधन को बरकरार रखते हुए सपा अपने संगठन व रणनीति में बदलाव करने जा रही है।लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के बुरी तरह हार के बाद अब मुलायम चाहते हैं शिवपाल की वापसी...

 तमाम अटकलों के बावजूद सपा-बसपा और रालोद के प्रमुख नेताओं ने गठबंधन को लेकर सार्वजनिक तौर पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। 

युवाओं के साथ पुराने नेताओं को मिलेगी तवज्जो
सपा में युवाओं के साथ ही पुराने नेताओं की राय को तवज्जो दी जाएगी। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव चाहते हैं कि बसपा से गठबंधन, टिकट आवंटन से नाराजगी या पार्टी में उपेक्षा के चलते पार्टी से बाहर जाने वालों या अन्य कारणों से बिछड़े नेताओं को फिर पार्टी से जोड़ा जाए। वे तो शिवपाल की भी सपा में वापसी के पक्षधर हैं।

उनका कहना है कि बाहरी से ज्यादा नुकसान अंदर के लोग करते हैं। उनके सुझावों पर कुछ हद तक अमल की तैयारी है। हार के कारणों की तह तक जाने के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा।

पार्टी किसानों, कमजोर वर्गों की आवाज उठाने के साथ ही सर्वग्राह्य स्वरूप बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। जल्द ही इस दिशा में कुछ कदम उठाए जाएंगे।

संगठन में होगा बदलाव
सपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी व गठबंधन की हार के बाद नीचे से ऊपर तक सपा संगठन में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। संगठन में जमीनी लोगों को तरजीह देकर क्षेत्रीय व जातीय संतुलन को साधा जाएगा। संगठन के ढांचे को बूथ स्तर ले जाया जाएगा। निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं से संवाद का सिलसिला बढ़ेगा। बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी कम की जाएगी।

जनहित के मुद्दों पर संघर्ष की रणनीति
पार्टी ने जनहित के मुद्दों को लेकर संघर्ष की तैयारी की है। प्रदेश सरकार के खिलाफ कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, छुट्टा पशुओं से नुकसान, प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक, किसानों की समस्याओं जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जाएगा।

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