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लोकसभा चुनाव में BSP को नहीं मिला BSP को वोट सपोर्ट: मायावती

लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजावादी पार्टी का गठबंधन सफल न हो पाने के बाद मायावती ने अकेले ही उपचुनाव लड़ने की घोषणा की. मंगलवार (04 मई) को वह मीडिया से मुखातिब हुईं और उन्होंने कहा कि समाजावादी पार्टी में अभी काफी सुधार लाने की जरूरत है. लोकसभा चुनाव में सपा का बेस वोट बसपा और सपा दोनों को नहीं मिला, इसलिए उन्हें लोकसभा नतीजों में ऐसे नतीजे मिले, जिसमें वह अपनी सीटें बचाने में कामयाब न हो सके. मायावती ने अखिलेश यादव को कहा कि यदि वह राजनीतिक कार्यों के साथ-साथ अपने कार्यकर्ताओं को बीएसपी की तरह मिशनरी मोड पर लाते हुए एकजुट करते हैं तो हम आगे उनके साथ हो सकते हैं.

मायावती ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही कहा कि अखिलेश यादव ने उनका बहुत सम्मान किया है. मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव के पूरे परिवार का हम भी बहुत सम्मान करते हैं. सपा-बसपा का रिश्ते राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं है. हमारे साथ उनके रिश्ते लंबे समय तक बने रहेंगे.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि लेकिन राजनीतिक विवशता को दरकिनार नहीं किया जा सकता. सपा का बेस वोट उन्हें ही नहीं मिला. समाजवादी पार्टी के साथ यादव समाज नहीं टिका रहा, यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा के मजबूत उम्मीदर को भी हरा दिया है. उन्होंने कहा बदायूं, कन्नौज और फिरोजाबाद सीट पर सपा प्रत्याशियों का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है.

मायावती ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह आंकलन किया जा सकता है कि जब सपा का बेस वोट खुद सपा को नहीं मिला, तो बीएसपी को कैसे मिला होगा. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम में ईवीएम की भूमिका खराब रही है. अगर सपा का बेस वोट जोड़ता तो स्थिति ये नहीं होती.

मायावती ने अखिलेश यादव को कहा कि यदि वह राजनीतिक कार्यों के साथ-साथ अपने कार्यकर्ताओं को बीएसपी की तरह मिशनरी मोड पर लाते हुए एकजुट करते हैं तो हम आगे उनके साथ हो सकते हैं.

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