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वन मंत्री कह रहे जंगली हाथी आए तो रहो खामोश, यही है समाधान

wild_elephant_news_raipur_cg_2016106_124610_06_10_2016रायपुर, ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित इलाकों में हाथी को रोकने की सभी योजनाएं फेल हो चुकी हैं। वन विभाग ने जंगली हाथियों से हार मान ली है। अब लोगों को समझाइश दी जा रही है कि हाथी आएं तो हंगामा न करें, शांत रहें। अगर हाथियों को छेड़ा नहीं गया तो खुद ही चले जाएंगे। हाल ही जशपुर के कुछ गांवों में यह योजना कारगर रही है। हाथियों ने फसलों को तो नुकसान पहुंचाया लेकिन ग्रामीणों ने हाथियों को देख ड्रम नहीं बजाया, पत्थर नहीं फेंके, भीड़ नहीं लगाई, तो हाथी तीन दिन रहने के बाद इलाके से खुद ही चले गए।

उन्होंने न किसी ग्रामीण का घर तोड़ा न किसी की जान ली। इस घटना के बाद वन विभाग ने मान लिया है कि हाथियों से निपटने का सबसे कारगर तरीका यही है कि उनका सम्मान किया जाए और शांत रहा जाए। वन मंत्री महेश गागड़ा ने नईदुनिया से कहा कि इसके अलावा कोई उपाय कारगर साबित नहीं हुआ है।

इसलिए विभाग ने योजना बनाई है कि ग्रामीणों को समझाया जाएगा कि वे ऐसे खाद्य पदार्थ घरों में न रखें जिसकी खुशबू पाकर हाथी घरों में घुसते हैं। खेतों में हाथी घुसें तो नुकसान होने दें उन्हें भगाने की कोशिश न करें। नुकसान की भरपाई सरकार कर देगी। इससे जान सलामत रहेगी और ज्यादा नुकसान भी नहीं होगा।

हाथी मेरा साथी नहीं है दुश्मनेजां

छत्तीसगढ़ के पांच जिले जशपुर, रायगढ़, सरगुजा, कोरिया और कोरबा जंगली हाथियों प्रभावित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से अब तक सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सौ से ज्यादा लोग मारे गए हैं। 2009 से हाथियों का कहर बढ़ा है। 2015 में 32 लोग मारे गए थे जबकि इस साल 30 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित रायगढ़ जिले में 2001 से अब तक 98 मौतें हो चुकी हैं। धर्मंजयगढ़ में हाथी के हमले में एक चीनी इंजीनियर की भी मौत हो चुकी है। इन 16 सालों में हाथियों से 18 हजार लोग प्रभावित हुए। फसलों को नुकसान पहुंचा और सैकड़ों लोगों के घर उन्होंने तोड़ दिए।

इन हमलों पर सरकार ने साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा मुआवजा भी बांटा है। सरगुजा में वर्ष 2015 -16 के दौरान 29 मौतें दर्ज की गईं। इस दौरान 42 हाथियों की भी मौत हुई। रायपुर के वन्य जीव प्रेमी कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि हाथियों से निपटने के लिए सरकार ने 279 गावों में 1975 किलोमीटर सोलर फैंसिंग की योजना बनाई थी। हाथी इतना बुद्घिमान होता है कि एक दो बार झटका खाने के बाद उसने फैंसिंग से निपटने का उपाय तलाश लिया। अब हाथी आते हैं तो फैंसिंग पर कोई पेड़ उठाकर फेंक देते हैं। तार टूट जाता है और हाथी गांव में घुस जाते हैं। सरकार ने पिछले साल विधानसभा में बताया था कि राज्य में 274 हाथी हैं। जिन इलाकों में हाथी कॉरीडोर बनाया जाना था वहां खनिज विभाग ने खदानों की अनुमति हासिल कर ली। रायगढ़ में हाथियों के इलाके में रेल कॉरीडोर बनाया जा रहा है।

शराबी हो गए हैं हाथी

हाथी आम तौर पर धान और मक्के की खड़ी फसल पर धावा बोलते हैं। घर में रखे अनाज की खुशबू भी उन्हें दूर से मिल जाती है। सबसे बड़ी दिक्कत है कि वे शराब प्रेमी हो गए हैं। वनों के निकट रहने वाले आदिवासी आमतौर पर महुआ शराब बनाते हैं और घर में रखते हैं। शराब की खुशबू पाकर हाथी घरों को तोड़ देते हैं।

जंगली हाथी से निपटने की कोई भी योजना सफल नहीं हो रही। सबसे बेहतर उपाय यही है कि उन्हें भड़काया न जाए और शांत रहा जाए। यही उपाय कारगर साबित हो रहा है। -महेश गागड़ा, वन मंत्री छत्तीसगढ़

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