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वरुथिनी एकादशी: भगवान विष्णु के साथ शनिवार को ऐसे करें शनिदेव की पूजा

वरुथिनी एकादशी 18 अप्रैल को है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। एकादशी के दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है। इस बार एकादशी शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व काफी बढ़ गया है। ऐसे में शनिवार के दिन शनि पूजा के साथ भगवान विष्णु की पूजा कर शुभफल की प्राप्ति की जा सकती है। एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा सुबह-सुबह स्नान करने के बाद विधिवत रूप से करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करते हुए भोग लगाएं। भगवान विष्णु को स्नान दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल और दूध के साथ उनका अभिषेक करे। उन्हें भोग में मिठाई और पील वस्त्र चढ़ाएं।

एकादशी और शनिवार के योग के कारण इस दिन भगवान विष्णु के साथ शनि की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन विशेष रूप से घर पर लगे हुए शमी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। शनिवार के दिन काले तिल का दान करें। शाम के समय शनिदेव के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और शनि मंत्रो का जाप करें।

एकादशी व्रत का नियम

– व्रत वाले दिन साधक को काम, क्रोध आदि पर पूर्ण नियंत्रण रखना होता है। 

– साधक को झूठ बोलने और निंदा करने से बचना होता है। 

– वरुथिनी एकादशी का व्रत करने वाले के लिए किसी भी तरह का नशा करना पूर्णत: वर्जित है। 

–  इस दिन निद्रा का त्याग करके भगवान विष्णु का जागरण, भजन, कीर्तन एवं मंत्र जप करना चाहिए। 

– व्रती को इस दिन भगवान के नाम और उनके अवतारों की कथा और कीर्तन करना चाहिए। 

–  लहसुन, प्याज, बैंगन, मांसाहार और मादक चीजों से परहेज रखना चाहिए।

वरुथिनी एकादशी व्रत मुहूर्त

वरुथिनी एकादशी पारण मुहूर्त: 19 अप्रैल को सुबह 05:51 से 08:26 बजे तक
अवधि: 2 घंटे 35 मिनट

 

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