अद्धयात्म

श्रीकृष्ण व बलराम ने यहां रहकर की थी शिक्षा ग्रहण

2016_8image_09_37_215403200sandipani-ashram-ll_57c36e1e55723भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ। वासुदेव श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा मां के पास छोड़ आए थे। जहां उनका पालन-पोषण हुआ था। श्रीकृष्ण ने कंस का वध करके मथुरा का राज महाराज उग्रसेन को सौंपा था। उसके पश्चात मां यशोदा अौर बाबा नंद ने उन्हें शिक्षा प्राप्ति का आदेश दिया। भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा ग्रहण करने परम पावन धाम अवंतिकापुरी (वर्तमान में उज्जैन) आए। यह सांदीपनि ऋषि का आश्रम है। सांदीपनि आश्रम धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीकृष्ण व बलराम ने यहां रहकर शिक्षा ग्रहण की थी। आज भी ये आश्रम मंगलनाथ मार्ग पर स्थित है, जो लोगों की आस्था का केंद्र है।
 
जिस समय भगवान श्री कृष्ण शिक्षा ग्रहण करने के लिए अवन्ति आए उस समय तक्षशिला और नालंदा की तरह ही अवन्ति ज्ञान -विज्ञान और संस्कृति की संगम स्थल रही है। धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण, बलराम व सुदामा ने सिर्फ 64 दिनों में रहस्य (मंत्रोपनिषद) व संग्रह (अस्त्रप्रयोग) सहित संपूर्ण धनुर्वेद की शिक्षा ग्रहण की थी। 
 
गुरु सांदीपनि श्रीकृष्ण की लगन से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्हें जगत गुरु की उपाधि दी थी अौर तभी से श्रीकृष्ण पहले जगत गुरु माने जाते हैं। सांदीपनि आश्रम को अंकपात भी कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण यहां तख्ती पर लिखे अंक धोकर मिटाते थे, जिसके कारण इसका नाम अंकपात पड़ा। 
 
यहां पर भी श्रीकृष्ण ने बहुत सारी लीलाएं की थी, श्रीमद्भागवत आदि धर्म ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इस स्थान पर एक पत्थर पर 100 तक अंक अंकित है जो सांदीपनि ऋषि ने अपने हाथ से लिखे थे। सांदीपनि आश्रम में ऋषि सांदीपनि की छोटी आकर्षक प्रतिमा भी है।

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