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समुद्र से होने वाली आतंकी गतिविधियां और डकैती समुद्री सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती: PM मोदी

The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at the International Fleet Review-2016, at Visakhapatnam on February 07, 2016. The Chief of Naval Staff, Admiral R.K. Dhowan is also seen.
The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at the International Fleet Review-2016, at Visakhapatnam on February 07, 2016.

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/विशाखापत्तनम : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्र के जरिए होने वाली आतंकवादी गतिविधियों और समुद्री डकैती को समुद्री सुरक्षा के लिए दो सबसे अहम चुनौती करार दिया। दक्षिण चीन सागर विवाद की पृष्ठभूमि में मोदी ने नौवहन की आजादी का सम्मान करने की भी वकालत की।

26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले की ओर इशारा करते हुए मोदी ने रविवार को कहा कि भारत समुद्र के जरिए पैदा होने वाले खतरे का सीधे तौर पर पीड़ित रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि समुद्र के जरिए पैदा होने वाले खतरे ने अब भी क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति तथा स्थिरता को खतरे में डाल रखा है।

मोदी ने कहा कि सोमालियाई समुद्री लुटेरों की ओर से भारत सहित अन्य देशों के व्यापारिक पोतों को निशाना बनाए जाने की पृष्ठभूमि में समुद्री डकैती भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू के समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दक्षिण चीन सागर विवाद की ओर परोक्ष तौर पर इशारा करते हुए कहा कि देशों को ‘नौवहन की आजादी का सम्मान करना चाहिए और इसे सुनिश्चित करना चाहिए तथा उन्हें प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि सहयोग करना चाहिए।’ मोदी ने कहा कि तीसरे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन और भारत-प्रशांत द्वीपीय सहयोग की मेजबानी करने के बाद भारत अप्रैल में पहले वैश्विक समुद्री शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि फ्लीट रिव्यू में हिस्सा ले रहे 37 भारतीय जंगी जहाज भारत में बने हैं और इनकी संख्या में निश्चित तौर पर इजाफा होगा। मोदी ने कहा कि महासागरों से आर्थिक लाभ प्राप्त करने की राष्ट्र की क्षमता हमारी इस काबिलियत पर निर्भर करती है कि हम समुद्री दायरे में आने वाली चुनौतियों से किस तरह निपटते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सुनामी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा के खतरे हर वक्त मौजूद हैं। तेलों के रिसाव, जलवायु परिवर्तन जैसी मानव निर्मित समस्याएं समुद्री क्षेत्र की स्थिरता के लिए जोखिम बने हुए हैं।’ उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण एवं स्थिर समुद्री क्षेत्र का होना बहुत जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘महासागरीय पारिस्थितिकी के संसाधनों का फायदा उठाना भी जरूरी है।’ मोदी ने कहा कि भारत के 1200 द्वीपीय क्षेत्र और 24 लाख वर्ग किलोमीटर का इसका विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) हिंद महासागर के आर्थिक महत्व को स्पष्ट करता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह हमारे लिए हमारे ठीक पड़ोस में या उससे थोड़े से अलग समुद्री क्षेत्र के किनारे बसे पड़ोसी देशों के साथ एक सामरिक पुल का काम भी करता है। पिछले साल मार्च में मॉरीशस में मैंने हिंद महासागर को लेकर अपना दृष्टिकोण जाहिर किया था। हिंद महासागर क्षेत्र मेरी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।

‘सागर’ के हमारे दृष्टिकोण में हमारा रुख स्पष्ट है, जिसका मतलब समुद्र है और इसका पूरा नाम ‘सिक्यूरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन’ यानी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं संवृद्धि है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत समुद्रों और खासकर हिंद महासागर में अपने भू-राजनीतिक, सामरिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, ‘इस मामले में भारत की आधुनिक एवं बहुआयामी नौसेना सामने से अगुवाई करती है। यह शांति एवं अच्छाई की सेना है। बढ़ती राजनीतिक एवं आर्थिक समुद्री साझेदारियों के नेटवर्क और क्षेत्रीय रूपरेखाओं को मजबूत करने से भी हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।’ मोदी ने याद करते हुए कहा कि भारत ने इससे पहले 2001 में मुंबई में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू की मेजबानी की थी।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘2016 में दुनिया बहुत अलग है। इसकी राजनीति उथल-पुथल भरी है और इसकी चुनौतियां जटिल हैं। वहीं महासागर वैश्विक समृद्धि की जीवनरेखाएं हैं। वे हमें बड़े आर्थिक मौके मुहैया कराते हैं ताकि हम अपने देशों को बेहतर बना सकें।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि 90 फीसदी से ज्यादा वैश्विक जिन्सों का कारोबार महासागरों के जरिए होता है।

उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में यह कारोबार 60 खरब डॉलर से बढ़कर करीब 200 खरब डॉलर हो गया है। कच्चे तेल की अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महासागर वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम है, क्योंकि विश्व में उत्पादित होने वाले तेल के 60 फीसदी से ज्यादा हिस्से की आवाजाही समुद्री मार्गों से होती है।

आधुनिक चुनौतियों के पैमाने और इसकी जटिलता के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय समुद्री स्थिरता किसी एक देश के बूते की बात नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि समुद्र से जिन देशों के हित जुड़े हैं उन सबका यह साझा लक्ष्य होना चाहिए।

इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू एवं मनोहर पर्रिकर भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर ‘भारत की समुद्री धरोहर’ नाम की एक फोटो निबंध पुस्तिका भी जारी की।

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