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हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों के लिए अलग हैं नियम : शर्मिला टैगोर

मुंबई : हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर काफी समय से बड़े पर्दे से दूर हैं, लेकिन उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है। उन्हें लगता है कि एक उम्र के बाद हर अभिनेत्री को इस दौर से गुजरना पड़ता है, क्योंकि हिंदी सिनेमा की अभिनेत्रियों के लिए अभिनेताओं की तुलना में अलग नियम होते हैं। उन्होंने कहा, मेरे साथ कोई अजीब बात नहीं हुई है, यह एक उम्र को पूरा करने के बाद हर अभिनेत्री के साथ होता है, यहां तक कि माधुरी दीक्षित के साथ भी हुआ, जिनकी उम्र काफी कम है। डेढ़ इश्किया के बाद उन्होंने कोई फिल्म इसीलिए नहीं की है। अमिताभ बच्चन के लिए नियम अलग हैं। उनके पास शूजीत सरकार जैसे निर्देशक हैं, जो उनके लिए भूमिकाएं लिखते हैं। अमिताभ इस वक्त जहां हैं, उसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। वह एक दिग्गज कलाकार हैं, लेकिन उनका नियम अभिनेत्रियों पर लागू नहीं होता। रिभु दासगुप्ता की फिल्म टीईथ्रीएन कोरियाई फिल्म की रीमेक थी। उसमें अमिताभ को समायोजित करने के लिए महिला वाले मुख्य पात्र को पुरुष पात्र में बदल दिया गया।

उन्होंने कहा, दूसरी ओर यह भी है कि अगर अमिताभ वकील का किरदार नहीं निभाते तो ‘पिंक’ को कौन देखने जाता। सिनेमा समाज की वास्तविकता को प्रदर्शित करता है और फिल्मों एक महिला को ऐसी भूमिका इसलिए नहीं दी जाती है कि निर्माता सोचते हैं कि इससे वह कहानी के पात्रों की प्रमुख बन जाएगी। हालांकि क्षेत्रीय फिल्मों के नियम अलग होते हैं। उनमें उम्रदराज महिला पात्रों को भी प्रमुख भूमिका निभाने का अवसर मिलता है। क्या बड़े पर्दे को याद करती हैं? इस सवाल पर शर्मिला का कहना था, मैंने कभी अपने फिल्मी करियर पर ध्यान केंद्रित रखने के बारे में नहीं सोचा। बेशक मैं अभिनय से प्रेम करती हूं और जब मैं फिल्म करती हूं, तो उस पर सब कुछ न्योछावर करती हूं। लेकिन सिनेमा मेरे लिए सब कुछ और अंतिम चीज नहीं है। मैं खुद को एक आकस्मिक अभिनेत्री मानती हूं। मुझे बहुत सारी चीजों में दिलचस्पी है। मैं यूनिसेफ और कई गैर-सरकारी संगठनों के साथ जुड़ी हूं। बता दें कि शर्मिला का आठ दिसंबर को जन्मदिन था। वह उम्र के 73 साल पूरे कर चुकी हैं।

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