शिवपाल ने लौटाई सरकारी गाड़ी, बंगला भी करेंगे खाली
नई दिल्ली: यूपी में मुलायम परिवार का झगड़ा अब सड़क पर लड़ा जा रहा है. अखिलेश से नाराज शिवपाल यादव ने कल मंत्री और पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद आज शिवपाल के समर्थक लखनऊ की सड़क पर उतर आए हैं. दूसरी तरफ मंत्री और पार्टी पदों से इस्तीफा देने वाले शिवपाल ने सरकारी गाड़ी लौटा दी है और अब बंगला भी खाली करेंगे. खास बात ये है कि समाजवादी पार्टी का झगड़ा खत्म होता नहीं दिख रहा, न चाचा शिवपाल झुकने को तैयार हैं और न भतीजा अखिलेश. दरअसल शिवपाल और अखिलेश के बीच प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर झगड़ा है और अखिलेश कमान छोड़ना नहीं चाहते. हालांकि, शिवपाल के इस्तीफे नामंज़ूर किए जा चुके हैं लेकिन झगड़ा खत्म नहीं हुआ है. मुलायम परिवार भी दो खेमों में बंट गया है. घर में सत्ता और शक्ति की आग तब लगी है जब यूपी में समाजवादी पार्टी को कुछ महीने में चुनाव में उतरना है.
शिवपाल के घर के बाहर लगा समर्थकों का मजमा
गुरुवार की शाम जैसे ही शिवपाल यादव ने पार्टी और कैबिनेट से इस्तीफा दिया. शिवपाल के घर के बाहर समर्थकों का मजमा लग गया. कार्यकर्ता तो आए ही, 20 विधायक भी खुलकर शिवपाल के समर्थन में घर के बाहर जमा हो गए. जो दिखा उससे मुलायम के राजनीतिक साए में पले-बढ़े शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के जननायक लगने लगे. यादव परिवार की इस पार्टी में पहली बार परिवार के एक सदस्य को उसी के परिवार से इंसाफ दिलाने के लिए बाहर के लोग आवाज उठाते सुने गए. कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने पर शिवपाल यादव को भी सड़क पर आना पड़ा.
अखिलेश से मिलने के बाद हुआ इस्तीफे का फैसला
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच चल रहा संघर्ष गुरुवार की शाम अपने चरम पर पहुंच गया. शिवपाल लगातार कह रहे थे कि जो नेताजी (मुलायम सिंह) कहेंगे, वे वहीं करेंगे. ना जाने मुलायम ने क्या कह दिया कि शिवपाल ने अपने आत्मसम्मान के लिए परिवार, पार्टी और सरकार सबको सड़क पर ला दिया. कल शाम दिल्ली से लखनऊ पहुंचकर शिवपाल, अखिलेश से मिलने गए. बंद कमरे में हुई मुलाकात के बारे में बाहर ये ख़बरें उड़ीं कि चाचा-भतीजा गले भी मिले. ना जाने कल शाम ऐसा क्या हुआ कि अखिलेश मिलने से बाद समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की सरकार हिल गई. शिवपाल ने पहले समाजवादी पार्टी के यूपी अध्यक्ष का पद छोड़ा, उसके बाद अखिलेश सरकार के मंत्री का पद भी छोड़ा दिया. इसी के साथ समाजवादी पार्टी के साधारण कार्यकर्ता बनकर रह गए शिवपाल.
मुलायम ने दोनों इस्तीफे किए नामंज़ूर
अभी तो मुलायम सिंह ने गुस्से में दिए गए शिवपाल के सारे इस्तीफों को नामंजूर कर दिए हैं. शायद चाचा-भतीजे की जंग खत्म कराने के लिए उन्होंने कोई मास्टर स्ट्रोक बचा रखा हो. लेकिन विरोधी कह रहे हैं कि ये सब फैमिली ड्रामा चल रहा है. शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच तनातनी अरसे से चल रही थी. तनातनी तब सामने आई थी जब अखिलेश ने मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय होने नहीं दिया. तब लगा कि बात आई गई हो गई.
हाल में अखिलेश यादव ने सरकार में सफाई अभियान चलाते हुए शिवपाल से PWD समेत कई अहम विभाग छीन लिए तब शिवपाल के सब्र का बांध ध्वस्त हो गया. दिल का गुबार शिवपाल ने इस्तीफा देकर निकाल दिया लेकिन मामला खत्म नहीं हुआ है. अभी शिवपाल के पत्ते खुलने हैं और ये साफ होने में समय लगेगा कि वे आगे क्या करेंगे. अखिलेश यादव को दिखाना है कि वे कितना झुके सकते हैं और किसकी कितनी सुनेंगे. वहीं पार्टी, परिवार और सरकार के भविष्य के लिए मुलायम ने क्या प्लान बनाया है, यह भी देखने वाली बात होगी.