बेलपत्र तोड़ने और शिवलिंग पर चढ़ाने का क्या है सही तरीका?
हमारे धर्मशास्त्रों में ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिससे धर्म का पालन करते हुए पूरी तरह प्रकृति की रक्षा भी हो सके. यही वजह है कि देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले फूल और पत्र को तोड़ने से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं.
बेलपत्र तोड़ने के नियम:
1. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र न तोड़ें.
3. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर नया बेलपत्र न मिल सके, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है.
अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।
शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (स्कंदपुराण)
4. टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न पहुंचे.
5. बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.
शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बेलपत्र:
1. महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए.
2. बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए.
3. बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं. ये जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं.
4. अगर बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो बेल के वृक्ष के दर्शन ही कर लेना चाहिए. उससे भी पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं.
5. शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए.