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सालाना रिपोर्ट से गायब रहेगा नोटबंदी का आंकड़ा?

8 नवंबर को नोटबंदी लागू होने के बाद पूरे देश में बैंकों के बाहर लंबी कतार लगी. आम आदमी अपने पास मौजूद 1000 और 500 रुपये की पुरानी करेंसी को जमा कराने के लिए बैंक पहुंचा. देशभर में बैंकों ने या तो पुरानी करेंसी के बदले नई करेंसी जारी की, नहीं तो पुरानी करेंसी को खाताधारक के अकाउंट में जमा कर दिया.

सालाना रिपोर्ट से गायब रहेगा नोटबंदी का आंकड़ा? पुरानी करेंसी को बदलने और जमा करने की प्रक्रिया पूरे देश में एक से लेकर तीन महीने तक अलग-अलग शर्तों के साथ की गई. अब नोटबंदी के फैसले को 6 महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन केन्द्र सरकार समेत भारतीय रिजर्व बैंक के पास अंतिम आंकड़े नहीं हैं कि बैंकों ने अभी तक कुल कितनी पुरानी करेंसी जमा की है.

रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पुरानी 1000 और 500 रुपये की करेंसी प्रतिबंधित करने के बाद 15.4 लाख करोड़ रुपये की करेंसी का संचार कर लिया गया है. वहीं नोटबंदी से पहले तक देश में कुल 17.7 लाख करोड़ की करेंसी संचार में थी.इस हफ्ते नोटबंदी पर बनी संसदीय समिति के सामने दूसरी बार पेश होकर रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि पुरानी करेंसी की गिनती का काम अभी तक चल रहा है. इसके चलते अभी तक रिजर्व बैंक के पास जमा की जा चुकी करेंसी का आंकड़ा नहीं है. वहीं पटेल ने दावा किया कि उन्हें सितंबर तक पुरानी करेंसी को गिनने का काम पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद ही उचित आंकड़े जारी किए जा सकेंगे.

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गौरतलब है कि रिजर्व बैंक को वार्षिक हिसाब-किताब की क्लोजिंग 30 जून को करनी होती है. इसके बाद जुलाई के मध्य तक वह अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी कर सालभर का पूरा हिसाब-किताब देश के सामने रखता है. लेकिन इस बार उर्जित पटेल का संसदीय समिति के सामने दिए बयान के बाद उम्मीद है कि रिजर्व बैंक जुलाई में जारी होने वाली अपनी वार्षिक रिपोर्ट को आधी-अधूरी पेश करने की तैयारी में हैं. इसके चलते इस रिपोर्ट में नोटबंदी के पूरे आंकड़े मौजूद नहीं रहेंगे.

अब सवाल यह उठता है कि क्या रिजर्व बैंक सिर्फ आंकड़ों को छिपाने के लिए पुरानी करेंसी की गिनती पूरी न होने की बात कह रही है. ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि:

1. रिजर्व बैंक देश में बैंकों के पास मौजूद कुल करेंसी का हिसाब-किताब कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) के आधार पर रखता है. रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक किसी भी बैंक में सीआरआर के आधार पर ही कैश हो सकता है. ऐसी स्थिति में क्या नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने सीआरआर के हिसाब-किताब को पूरा नहीं किया और बैंकों के पास पैसा बिना सीआरआर के आधार पर रखा है?

2. रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक, उसकी करेंसी चेस्ट में रखी करेंसी से लेकर किसी खातें में करेंसी का संचार करते वक्त पाई-पाई का हिसाब-किताब किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में एक करेंसी नोट की जांच और गिनती कई बार की जाती है और रिजर्व बैंक के हिसाब-किताब के साथ-साथ बैंकों के बही-खाते में आंकड़े दर्ज किए जाते हैं. क्या नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने करेंसी चेस्ट से रुपया निकालने और बैंक खातों में रुपये जमा करने के काम को बिना गिनती और जांच के अंजाम दिया है?3. नोटबंदी का ऐलान करने के बाद रिजर्व बैंक ने देशभर में संचार व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई अस्थाई करेंसी चेस्ट स्थापित की थी. नोटबंदी के बाद देश की लगभग 86 फीसदी करेंसी को नई करेंसी से बदलने के काम में इन अस्थाई करेंसी चेस्ट का अहम योगदान था. लेकिन अब करेंसी गिनने की बात पर क्या रिजर्व बैंक कह रही है कि उसके अस्थाई करेंसी चेस्ट में पुराने नोटों को रखने का काम बिना किसी गिनती के किया गया.

लिहाजा, इन बातों से एक बात साफ है कि जुलाई में आने वाली रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में न तो नोटबंदी के आंकड़े होंगे और रिजर्व बैंक अपनी आधी-अधूरी रिपोर्ट तैयार करेगी क्योंकि उसका दावा है कि पुराने नोटों की गिनती का काम सितंबर तक जारी रहेगा.

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