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नवविवाहित को गिफ़्ट बम भेजकर आखिर किसने मारा?

भुवनेश्वर : ओडिशा के पाटनागढ़ में अपने नए बने मकान में 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्य शेखर साहू और उनकी 22 वर्षीय पत्नी रीमा रसोईघर में बातें कर रहे थे, वो खाने में ग्रिल बैंगन और दाल का झोल बनाने की योजना बना रहे थे तभी सौम्या को उनके मेटल गेट की कुंडी बजने की आवाज़ सुनाई दी, एक डिलिवरी मैन बाहर खड़ा था, अपने हाथ में सौम्य के नाम का पार्सल लिए। बक्से पर एक घिसे हुए स्टीकर पर लिखा था कि इसे एसपी शर्मा ने रायपुर (क़रीब 230 किलोमीटर दूर स्थित शहर) से भेजा था। रीमा रसोई घर में बॉक्स खोलते अपने पति को याद करती हुए कहती हैं, ”पार्सल को हरे काग़ज में कवर किया गया था जिसमें से सफ़ेद धागा निकल रहा था, उसी वक्त पीछे से उनकी 85 वर्षीय दादी जेमामणि साहू पार्सल में क्या आया है यह देखने के लिए आईं। सौम्य शेखर ने अपनी पत्नी से कहा, “यह शादी का गिफ़्ट लगता है, मैं केवल यह नहीं जानता हूं कि इसे भेजने वाला कौन है, मैं रायपुर में किसी को नहीं जानता। जैसे ही उन्होंने धागा खींचा, वहां बिजली जैसी कौंधी और रसोई में बहुत ज़ोर का धमाका हुआ, तीनों इसके चोट के प्रहार से वहीं फ़र्श पर लुढ़क गए, उनके शरीर से तेज़ी से ख़ून बहने लगा।
धमाके में छत का प्लास्टर फट गया और वाटर प्यूरिफ़ायर भी टूट कर बिखर गया। खिड़की भी टूट कर टुकडों में दूर जा गिरी और हरे रंग में रंगी दीवारों में दरार पैदा हो गई। सौम्य शेखर ने बेहोश होने से पहले कराहते हुए कहा, बचाओ, मुझे लगता है मैं मर रहा हूं। यही वह आख़िरी बार था जब रीमा ने अपने पति को बोलते हुए सुना था। आग ने उनके चेहरे और बांह को जला दिया, उनके फेफड़े में धुंआ भर गया और वो सांस लेने के लिए छटपटाने लगीं, उनके कान चुभने लगे, इसी वजह से वह यह साफ-साफ नहीं सुन सकीं कि उनके पड़ोसी यह पूछते हुए दौड़े चले आ रहे हैं कि कहीं गैस सिलेंडर तो नहीं फट गया। मलबा उनकी आंखों में भर गया और नज़र धुंधली होती चली गई। इसके बावजूद रीमा बेडरूम तक रेंग कर पहुंचने में कामयाब रहीं और स्थानीय कॉलेज में प्रिंसिपल अपनी सास को कॉल करने के लिए फ़ोन उठाया, लेकिन कॉल करने से पहले ही वो बेहोश हो गईं। धमाके के कुछ मिनट बाद के वीडियो फ़ुटेज से पता चलता है कि परेशान पड़ोसी तीनों घायलों को बेडशीट में उठा कर बाहर खड़े एक एंबुलेंस में पहुंचा रहे हैं, सौम्य शेखर और जेमामणि साहू की अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गई, दोनों 90 फ़ीसदी जल गए थे, रीमा सरकारी अस्पताल में बर्न वार्ड के एक तंग कमरे में धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं। इस भीषण घटना को एक महीने से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन इस बात का कोई अता-पता नहीं है कि सौम्य शेखर को किसने मारा।
रीमा के पिता सुदाम चरण साहू ने बताया, हम साधारण लोग हैं, न मेरा कोई दुश्मन है और न मेरी बेटी का। मेरे दामाद का भी कोई दुश्मन नहीं था, मुझे किसी पर शक नहीं है, मुझे नहीं पता ऐसा कौन कर सकता है। सौम्य और रीमा की एक साल से कुछ पहले सगाई हुई थी, रीमा के पिता एक कपड़ा व्यापारी हैं जिन्होंने रीमा को अपने छोटे भाई से गोद लिया था क्योंकि उन्हें अपने दो बेटों के बाद एक बेटी चाहिए थी, और उनके भाई को तीन बेटियां थीं।हंसमुख और प्यारी रीमा ने एक स्थानीय कॉलेज से ओडिया भाषा में स्नातक की पढ़ाई की।वहीँ सौम्य शेखर के माता-पिता दोनों कॉलेज टीचर थे- उनके पिता जीव विज्ञान पढ़ाते थे, सौम्य ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी और दो महीने पहले बंगलुरु में एक जापानी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी में जॉइन करने से पहले चंडीगढ़ और मैसूर में इंफ़ो-टेक कंपनी में काम कर चुके थे। सौम्य शेखर के पिता रबिंद्र कुमार साहू (57) ने कहा, “वे दोनों शादी से पहले अपने परिवार की उपस्थिति में एक दो बार मिले थे, दोनों बहुत खुश थे, कोई उन्हें क्यों मारना चाहेगा? बस एक ही बेतुकी चीज़ है कि सौम्य शेखर जब बंगलुरू में थे तो उन्हें एक बार एक अनजान फ़ोन कॉल आया था, “यह कॉल पिछले साल आया था, रीमा ने मुझे बताया था कि जब दोनों फ़ोन पर बात कर रहे थे तभी सौम्य को वो कॉल आया था और तब सौम्य ने रीमा को होल्ड पर रख कर उससे बात की और बाद में उन्हें बताया कि फ़ोन पर उनको धमकाया गया, एक आदमी ने उन्हें धमकी देकर शादी नहीं करने को कहा था। उसके बाद उन्होंने किसी अन्य कॉल का ज़िक्र नहीं किया था, इसी दौरान दोनों की शादी हो गई, हम उस कॉल के बारे में बिल्कुल भूल चुके थे। इस हत्या को लेकर दो दर्ज़न जांचकर्ताओं ने चार अलग अलग शहरों में दोस्तों और रिश्तेदारों समेत 100 से भी अधिक लोगों से अब तक पूछताछ की है, उन्होंने मोबाइल फ़ोन कॉल रिकॉर्ड खंगाले, लैपटॉप को स्कैन किया और इन नवविवाहितों के फ़ोन भी खंगाले। इस जांच में तब एक आस जगी जब साइबर सेल के जांचकर्ताओं को यह पता लगा कि यहां से 119 किलोमीटर दूर कालाहांडी ज़िले में एक निजी कंप्यूटर से इस पार्सल को दो बार ट्रैक किया गया है, यह अनुमान लगाया गया कि हो सकता है हत्यारा इस पर नज़र बनाए हो, लेकिन अंत में यह पता लगा कि ये ख़ुद कुरियर कंपनी कर रही थी जो अपने भेजे गए सामान की निगरानी कर रही थी। पुलिस को केवल यह पता है कि यह पार्सल रायपुर से भेजा गया था जिस पर ग़लत नाम और पता लिखा था, हत्यारे ने इसके लिए 400 रुपये खर्च किए और बड़ी सावधानी से कुरियर का चयन किया था। कुरियर कंपनी के दफ़्तर में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा था और पार्सल को स्कैन भी नहीं किया गया था। तीन बसों और चार हाथों से होते हुए पार्सल 650 किलोमीटर का सफ़र करते हुए 20 फ़रवरी को पाटनगढ़ पहुंचा। कुरियर कंपनी के स्थानीय मैनेजर दिलीप कुमार दास ने बताया, डिलिवरी मैन उसी शाम को सौम्य शेखर के घर पहुंचा था, लेकिन पार्सल को बिना डिलीवर किए ही वापस लौट गया क्योंकि वहां रिसेप्शन पार्टी चल रही थी। बलांगीर के सीनियर पुलिस अधिकारी शशि भूषण सतपथी कहते हैं, “यह एक बहुत ही जटिल मामला है, यह एक बहुत ही जानकार आदमी का काम है जो बम बनाने की कला से अच्छी तरह वाकिफ़ था।

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