मिताली ने बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी और क्रिकेट संचालन महाप्रबंधक सबा करीम को एक पत्र लिखा है। पत्र में मिताली ने अपनी आपबीती सुनाई, ’20 बरस के लंबे करियर में पहली बार मैने अपमानित महसूस किया। मुझे यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि देश के लिए मेरी सेवाओं की अहमियत सत्ता में मौजूद कुछ लोगों के लिए है भी या नहीं या वे मेरा आत्मविश्वास खत्म करना चाहते हैं।’
उसने कहा, ‘मैं टी-20 कप्तान हरमनप्रीत के खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहती, लेकिन मुझे बाहर रखने के कोच के फैसले पर उसके समर्थन से मुझे दुख हुआ।’
मिताली ने कहा, ‘मैं देश के लिए विश्व कप जीतना चाहती थी। मुझे दुख है कि हमने सुनहरा मौका गंवा दिया।’ उन्होंने भारत की पूर्व कप्तान एडुल्जी को आड़े हाथों लिया जिन्होंने उसे बाहर रखने के फैसले का समर्थन किया था।
मिताली ने कहा, ‘मैने हमेशा डायना एडुल्जी पर भरोसा जताया ओर उनका सम्मान किया। मैंने कभी यह नहीं सोचा कि वह मेरे खिलाफ अपने पद का दुरूपयोग करेगी। खासकर तब जबकि वेस्टइंडीज में जो कुछ मेरे साथ हुआ, मैं उन्हें बता चुकी थी।’
उसने कहा, ‘मुझे सेमीफाइनल से बाहर रखने के फैसले को उनके समर्थन से मैं काफी दुखी हूं क्योंकि उन्हें तो असलियत पता थी।’ पवार के बारे में उसने कहा कि ऐसी कई घटनाएं हुई जब उसने अपमानित महसूस किया।
उसने कहा, ‘यदि मैं कहीं आसपास बैठी हूं तो वह निकल जाते थे या दूसरों को नेट पर बल्लेबाजी करते समय देखते थे लेकिन मैं बल्लेबाजी कर रही हूं तो नहीं रूकते थे। मैं उनसे बात करने जाती तो फोन देखने लगते या चले जाते।’ उसने कहा, ‘यह काफी अपमानजनक था और सभी को दिख रहा था कि मुझे अपमानित किया जा रहा है। इसके बावजूद मैने अपना आपा नहीं खोया।’