नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों पर सुनवाई करते हुए एसआईटी को 186 मामलों में अपनी जांच पूरी करने के लिए दो महीने का वक्त और दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एस ए बोबडे और एस अब्दुल नजीर की पीठ को बताया कि इस मामले में 50 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चूका है जांच पूरी करने के लिए दो महीने का वक्त और चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता एस गुरलाद सिंह काहलों पर पक्षकारों को नोटिस जारी किया जिसमें दंगों में नामित 62 पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की मांग की गई थी। बता दें कि उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 जनवरी को पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा की अध्यक्षता वाली एसआईटी का गठन किया था और इसमें 186 दंगों के मामलों की जांच आगे बढ़ाने के लिए रिटायर आईपीएस अधिकारी राजदीप सिंह और सेवारत आईपीएस अधिकारी अभिषेक दुलार को शामिल किया था।
फिलहाल इस एसआईटी टीम में वर्तमान में दो सदस्य हैं क्योंकि सिंह ने टीम का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। 31 अक्टूबर 1984 की सुबह अपने दो सिख सुरक्षा गार्डों द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय राजधानी में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए थे और इन दंगों में अकेले दिल्ली में 2,733 लोगों की मौत हुई थी।दरअसल, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी जांच की मांग करने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस दिया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इन मामलों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था। 31 अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़की और लोगों ने सिखों को निशाना बनाना शुरु कर दिया था। दिल्ली में हुआ कत्लेआम के बाद कानपूर में भी सबसे ज्यादा सिखों को मारा गया था।
कानपुर में 300 से अधिक सिखों के मारे जाने और सैकड़ों घर तबाह होने के आरोप लगे थे। हालांकि इस मामले की जांच करने वाले रंगनाथ मिश्रा आयोग ने महज 127 सिखों की मौत को दर्ज किया था। सिखों का आरोप है कि कानपुर में सिखों का कत्लेआम किया गया था, लेकिन इस मामले में बहुत दिनों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। बाद में जब एफआईआर दर्ज की गई तो स्टेटस रिपोर्ट में कोई पुख्ता सबूत नहीं होने की बात कहकर केस को खत्म कर दिया गया था। गुरुवार को भी सुल्तानपुरी क्षेत्र में हुए सिख विरोधी दंगे के एक मामले की सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट में गवाह जोगिद्र सिंह ने मामले में आरोपित सज्जन कुमार की पहचान की थी। सिंह ने कहा कि दंगे में उनके भाई की हत्या कर दी गई थी और सज्जन कुमार भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। सज्जन उस भीड़ को दिशा-निर्देश दे रहा था, जो सिख समुदाय के लोगों को मार रही थी। दिल्ली सिख दंगों को लेकर सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए पिछले साल 17 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।