अद्धयात्म

शनिदेव के इस मंदिर में दुखों से मिलता है छुटकारा

शनि देव की महिमा अपरंपार मानी गई है, यह किसी भी व्यक्ति का भाग्य बना सकते हैं और किसी का भी भाग्य बिगाड़ सकते हैं, इनको न्याय का देवता भी माना जाता है यह व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार ही न्याय करते हैं और उसी के अनुसार फल प्रदान करते हैं, ज्यादातर सभी लोग शनि देव के नाम सुनने मात्र से ही भयभीत हो जाते हैं और वह कभी नहीं चाहते हैं कि शनिदेव उनसे नाराज हो, जिसके लिए इनकी पूजा अर्चना की जाती है और इनको प्रसन्न रखने के लिए हर संभव कोशिश किया जाता है, ऐसे बहुत से शनि मंदिर है जिनके बारे में कई मान्यताएं प्रसिद्ध है, ऐसा बताया जाता है कि इन सभी मंदिरों में अगर कोई भक्त अपने सच्चे मन से जाता है तो उनको शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, आज हम आपको एक ऐसे शनि मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो बहुत ही चमत्कारिक है और इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर के अंदर शनिदेव स्वयं प्रकट हुए थे, यह मंदिर भारत के चमत्कारी मंदिरो में गिना जाता है।

आपको आज हम इस पोस्ट से जिस शनि मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह शनि मंदिर मध्य प्रदेश के इंदौर के जूनी में स्थित है, इस स्थान पर शनि देव का एक प्राचीन मंदिर मौजूद है, इस मंदिर के बारे में लोगों का ऐसा कहना है कि शनि देव खुद प्रकट हुए थे, शनि देव के इस मंदिर को चमत्कारिक मंदिरों में से एक माना जाता है, इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि करीब 300 वर्ष पहले मंदिर के स्थान पर एक 20 फुट ऊंचा टीला हुआ करता था और इस टीले के पास उस समय के दौरान पंडित गोपाल दास तिवारी आकर ठहरा करते थे, पंडित जी को स्वप्न में शनि देव ने दर्शन दिए थे और उनसे यह बात कही थी कि इस टीले के अंदर मेरी प्रतिमा दबी हुई है, तब पंडित जी को शनिदेव ने यह आदेश दिया कि शनिदेव की प्रतिमा को बाहर निकाल दिया जाए, पंडित जी दृष्टि थे जिसकी वजह से शनि देव के इस कार्य को करने के लिए समर्थ नहीं थे, तब शनिदेव ने पंडित जी के की आंखें ठीक की थी।

जब शनि देव ने पंडित जी की आंखों की रोशनी वापस लौटा दी तो ऐसा कहा जाता है कि पंडित जी को सुबह होते ही सब कुछ साफ-साफ नजर आने लगा था, इसके पश्चात उन्होंने अपने सपने के बारे में गांव वालों को जानकारी दी थी, तब गांव वाले पंडित जी के साथ मिलकर उस टीले की खुदाई करने में लग गए थे, खुदाई करते करते उनको आखिर में शनि देव की प्रतिमा दबी हुई नजर आई, इसके पश्चात इस प्रतिमा को टीले से बाहर निकाल दिया गया और उसकी साफ सफाई की गई थी, ऐसा कहा जाता है कि गांव वालों ने शनिदेव की इस प्रतिमा को बड़ी ही श्रद्धा भाव के साथ मंदिर में स्थापित किया था, शनि देव की वही प्रतिमा आज भी इस मंदिर में मौजूद है, इस मंदिर में शनि देव की पूजा अर्चना करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, शनि जयंती के दिन इस मंदिर का नजारा बहुत ही देखने लायक होता है, भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में लगी रहती है, इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त अपने सच्चे मन से जो भी मनोकामना शनिदेव से मांगता है वह अवश्य पूरी होती है, और सभी भक्तों के कष्टों का निवारण शनिदेव करते हैं।

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