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कोरोना काल में अवसाद का शिकार हो रहे लोग, हृदय रोगी बरतें खास सतर्कता

लखनऊ। कोरोना संक्रमण काल में लोगों की मानसिक स्थिति पर काफी असर पड़ा है। पहले महीनों तक चले लॉकडाउन के बाद अनलॉक में भी लोग मानसिक अवसाद सहित कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। बड़ी संख्या में रोजगार प्रभावित होने और वेतन कटौती जैसे मामलों के कारण लोगों का तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है। ऐसे में पहले से ही गम्भीर बीमारियों का शिकार लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

खासतौर से दिल के मरीजों के लिए यह दौर बहुत चुनौतीपूर्ण है। विशेषज्ञों की यही राय है कि दिल के मरीज नियमित दवा खाते रहें और अपनी पुरानी दिनचर्या पर कायम रहें। इससे उन्हें नई परेशानी से दो-चार नहीं होना पड़ेगा।

कार्डियोलाजिस्ट डॉ. अतुल अग्रवाल के मुताबिक, दिल के मरीज अपनी दवाएं लगातार खाते रहें। आसपास अगर बीपी की डिजिटल मशीन की उपलब्धता हो तो अपना बीपी नपवा लें। बीपी घटा या बढ़ा होने पर तनाव न लें। परेशानी होने पर अपने डॉक्टर से फोन पर संपर्क करें।

डॉ. अतुल के मुताबिक लॉकडाउन-2 लागू होने पर लोग अलग-अलग वजहों से तनाव में हैं। दिल के 90 प्रतिशत मरीज भी तनाव के कारण परेशान हैं। वह नियमित दवा खाकर और अपने खानपान पर ध्यान रखकर बीपी को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत परेशानी होने पर ही डॉक्टर को दिखाने निकलें। अन्यथा फोन पर राय लेकर ही काम चलाएं।

दिल के मरीज ऐसे करें देखभाल
दिल के मरीजों के लिए इस वक्त सबसे जरूरी है कि ऐसे लोग घर पर रहें यानी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें और किसी भी प्रकार का तनावी नहीं लें।

डॉ. अतुल के मुताबिक जबसे ये संक्रमण हमारे देश में फैलना शुरू हुआ है, उनके पास कई मरीजों के फोन आ चुके हैं कि सर खबरों में तो इस वायरस के बारे में जानकर डर लग रहा है। यह नॉर्मल लोगों के लिए इतना हानिकारक है तो हमारा क्या होगा? ऐसे में मैं हार्ट डिजीज के हर पेशंट से यही कहना चाहता हूं कि घर पर रहिए, फैमिली के साथ समय बिताइए और टेंशन फ्री रहिए। क्योंकि आप लोग अधिक टेंशन लेंगे तो कोरोना से कुछ हो ना हो हार्ट को जरूर समस्या हो सकती है।

डॉ. अतुल के मुताबिक इसलिए सामान्य लोगों के साथ ही सभी हार्ट पेशंट अपना अतिरिक्त ध्यान रखें। अनलॉक के दौरान भी पूरी तरह सतर्कता बरतें। बेवजह बाहर नहीं निकलें। परिवार के साथ समय बिताकर यादगार बनाएं। उन्होंने कहा कि जब आप परिवार के साथ होते हैं तो वर्क प्लेस और सोसायटी के दूसरे तनावों से मुक्त होते हैं। यह स्थिति आपके दिल की सेहत के लिए अच्छी होती है।

ऐसा होना चाहिए हार्ट पेशंट्स का शेड्यूल

• अनलॉक के दौरान भी घर पर रहते हैं तो इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि आप अपना रेग्युलर शेड्यूल डिस्टर्ब कर लें। अपनी दिनचर्या और सोने-जागने का समय वैसे ही रखें, जैसे पहले था।
• खुद को रिलैक्स रखें और पूरी नींद लें। डायट प्रॉपर लें और दवाइयों को लेकर लापरवाही न बरतें। क्योंकि अगर आपका सोने-जागने का वक्त बदलता है तो खाने का वक्त भी बदल जाता है, ऐसे में दवाइयों का शेड्यूल भी डिस्टर्ब होता है।
• फिजिकली ऐक्टिव जरूर रहें। घर में वॉक, योग और कसरत का रुटीन बना लें। अगर पहले से आपका रुटीन है तो उसी समय पर उसे फॉलो करें। इससे आपकी बॉडी को अपनी बायॉलजिकल क्लॉक सेट रखने में मदद मिलेगी।

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