चंडीगढ़ : पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए सियासी समीकरण और गठजोड़ बनने शुरू हो गए हैं। अब उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पार्टियां करीब आ गई हैं। शिअद और भाजपा में आज गठबंधन हो गया। शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल और बसपा नेता सतीश मिश्रा ने यहां यह ऐलान किया।
बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश मिश्रा इस समझौते के लिए शुक्रवार को चंडीगढ़ पहुंचे थे। अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और उनके बीच लंबी बैठक भी हुई जिसमें सीटों को लेकर बातचीत की गई। बताया जाता है कि सीटों को लेकर सिरे नहीं चढ़ पा रही थी। शिरोमणि अकाली दल राज्य में बसपा को 18 सीटें देने को तैयार थी और बसपा की मांग 23 सीटों की थी। इनमें दोआबा क्षेत्र के साथ ही फिरोजपुर की सीटों पर पार्टी की नजर है। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा को दोआबा की कुछ सीटों पर अच्छे वोट मिले थे जिसे लेकर पार्टी उत्साहित है।
दोनों दल मिल कर पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। तीन कृषि कानूनों को लेकर भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का बसपा (बहुजन समाज पार्टी) से 25 साल बाद साथ आए हैं। इस अवसर पर बसपा नेता और सांसद सतीश मिश्रा ने कहा कि यह पंजाब की सियासत में यह ऐतिहासिक दिन है, जब बसपा और शिअद का गठबंधन हुआ है। अब पंजाब की यह सबसे बड़ी सियासी ताकत हो गई है। 1986 में दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था तो राज्य की 13 सीटों में से 11 पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले शनिवार को शिअद विधायक एनके शर्मा ने शनिवार को कहा कि शिअद और बसपा एक बार फिर साथ आ रहे हैं और हम 2022 के विधानसभा चुनाव में क्ली नस्वीप करेंगे।