जीवनशैली

मकान बनवाने से पहले नींव में क्यों गाढ़ी जाती हैं ये चीज़ें ?

हिंदू धर्म में हर तरह के शुभ कार्य को शुरू करने से पहले विधि-विधान होता है जिसमें कई प्रकार की पूजा आदि शामिल होती है। आज हम आपको नया मकान बनवाने संबंधित कुछ ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं। बता दें कि धार्मिक व ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ वास्तु शास्त्र में इन बातों का वर्णन किया गया है।

इतना तो लगभग सभी लोग जानते हैं कि धार्मिक परंपरा के अनुसार शुभ मुहूर्त देखने के बाद ही मकान बनवाने का कार्य शुरु किया जाता है। इसके साथ ही जब किसी मकान या भवन की नींव राखी जाती है तो पूजा-पाठ करने के बाद नींव को सर्प और कलश से भरा जाता है। लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो इसके पीछे का असल पौराणिक कारण क्या है। आज हम आपको इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है।

आप में से बहुत से लोगों ने देखा होगा कि भवन निर्माण के समय खास रूप से चांदी या सोने से बना सर्प और कलश रखा जाता है। बता दें पुराणों में कहा गया है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक स्थित है, जिसके स्वामी शेषनाग हैं। ये सारी पृथ्वी शेषनाग के फण पर टिकी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को पैदा किया था। यह शेषनाग पर्वत, तालाब और नदियों सहित पृथ्वी को धारण किए हुए हैं। इसके अलावा गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि- अनन्तश्चास्मि नागानां यानि मैं नागों में शेषनाग हूं। शायद यही कारण है कि शेषनाग को हिंदू धर्म में देवता मानकर पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार यही कारण है कि मकान की नींव में सर्प रखा जाता है।

अन्य मान्यताओं के अनुसार मकान की नींव में कलश भी स्थापित किया जाता है। बता दें कि कलश को भगवान विष्णु का रूप कहा जाता है। ज्योतिष के मुताबिक इसीलिए प्रत्येक पूजा में विष्णु रूपी कलश में लक्ष्मी स्वरूप सिक्का डालकर फूल और दूध चढ़ाया जाता है, जो नागों को सबसे ज्यादा प्रिय होता है। इसके अलावा भवन-निर्माण का पूजन इसी मनोवैज्ञानिक इसी आधार पर किया जाता है कि जैसे शेषनाग अपने फण पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, उसी तरह घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूरी मज़बूती के साथ हमेशा स्थापित रहे।

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