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मध्य प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा बनता सियासी मुद्दा!

भोपाल। मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा अब सियासी मुद्दा बनने लगा है। इसे लेकर सत्ताधारी दल भाजपा और विरोधी दल कांग्रेस एक दूसरे पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगा रहे हैं। रामनवमी के मौके पर खरगोन में निकले जुलूस पर हुए पथराव और उसके बाद भड़की हिंसा की तपिश अब भी बनी हुई है। यह बात अलग है कि खरगोन में हालात अब सामान्य हो चले हैं और कर्फ्यू में दो घंटे की ढील भी दी गई।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खरगोन की घटना को लेकर एक ट्वीट के साथ फोटो साझा करके मुसीबत में पड़ गए हैं, क्योंकि उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। दिग्विजय सिंह खुद भाजपा के मुकाबले खड़े हैं। सरकार और भाजपा उन पर हमले किए जा रहे हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के साथ वीडियो साझा किया। उन्होंने लिखा, ये है खरगोन में चचाजान दिग्विजय सिंह के शांतिदूत, पुलिस इन पर कार्रवाई न करे तो क्या करे? आस्तीन के सांप कोई भी हों, फन कुचलना जरुरी है।

विजयवर्गीय की सोशल मीडिया पोस्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लिखा है, कैलाश आपने जो वीडियो डाला है वह खरगोन का नहीं है। जिस भाषा का उपयोग आपने किया है वह भड़काने वाली है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने गुरुवार को दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा, हिंसक घटनाओं में अंतर्राष्ट्रीय साजिश है, इसे पीएफआई जैसे संगठन फंडिंग कर रहे हैं। दिग्विजय सिह जैसे लोग देश में अशांति फैलाना चाहते हैं। इन हिंसक घटनाओं की साजिश में उनकी क्या भूमिका है, इसकी कड़ी जांच होना चाहिए।

खरगोन में हुई हिंसा के बाद बड़े पैमाने पर न केवल गिरफ्तारियां हुईं बल्कि दंगे में शामिल लोगों की मकान, दुकानें भी ढहाई गई हैं। इसको लेकर कांग्रेस आरोप लगा रही है कि एक वर्ग के लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई हो रही है।

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