मध्य प्रदेशराज्य

प्रदेश में 21 फ्लाई ओवर को बनाने का फण्ड देगी केंद्र,प्रदेश सरकार को भूमि अधिग्रहण का खर्च करना होगा वहन

भोपाल : शहरों में बढ़ते वाहन और जगह-जगह लगने वाले जाम से मुक्ति के लिए प्रदेश के 10 शहरों में 21 फ्लाई ओवर बनाए जाएंगे। केंद्र सरकार ने इसके लिए सेतु बंधन योजना में 21 फ्लाई ओवर मध्य प्रदेश के लिए स्वीकृत किए हैं। फ्लाई ओवर बनाने में लगने वाली राशि केंद्र सरकार देगी तो राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण करना होगा। इसका खर्च भी राज्य ही उठाएगा।

वहीं, अटल प्रोग्रेस वे के लिए 906 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। पहले इसके लिए राशि राज्य सरकार को व्यय करनी थी, लेकिन अब इसका भुगतान भी केंद्र सरकार करेगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए भूमि स्वामी की नामवार अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग की समीक्षा में यह जानकारी दी गई।

बैठक में विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि केंद्र सरकार की सेतु बंधन योजना में मध्य प्रदेश के लिए शहरों में फ्लाई ओवर बनाने की स्वीकृति दी गई है। इसके लिए शहरों का चयन किया जा चुका है। कलेक्टरों से फ्लाई ओवर के प्रस्ताव मांगे गए हैं। आठ जिलों ने सूची भेज दी है। इनका परीक्षण करने के बाद भूमि अधिग्रहण की स्थिति और जरूरत का आकलन विभाग से कराया जाएगा।

इसके आधार पर प्राक्कलन तैयार करके केंद्र सरकार को भेजकर स्वीकृति प्राप्त की जाएगी। तीन साल में फ्लाई ओवर बनाने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 105 करोड़ रुपये का प्रविधान भी कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस कार्य को समयसीमा में पूरा करने के निर्देश दिए।

वहीं, अटल प्रोग्रेस वे की समीक्षा के दौरान बताया गया कि परियोजना के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को भिंड, मुरैना और श्योपुर जिले की एक हजार 623 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। एक हजार 178 हेक्टेयर निजी भूमि परियोजना में आ रही है। मुरैना में 190 और भिंड में 21 हेक्टेयर भूमि सहमति के आधार पर प्राप्त हो रही है। इसमें किसानों को भूमि के बदले भूमि दी जा रही है। जबकि, मुरैना में 50 और भिंड में 21 हेक्टेयर भूमि किसान देने के लिए तैयार नहीं हैं।

श्योपुर में भूमि स्वामी 609 हेक्टेयर भूमि देने के लिए तैयार नहीं हैं। अब कुल 906 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए भूमि स्वामी के नाम से अधिसूचना जारी की जाएगी। एनएचएआइ के प्रविधान के अनुसार यहां भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई होगी और संबंधित भूमि स्वामी को भूमि का दोगुना बाजार मूल्य देकर भूमि ली जाएगी। भूमि अधिग्रहण में साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक लगेंगे। यह राशि अब केंद्र सरकार देगी। वहीं, 403 हेक्टेयर वन भूमि के लिए प्रस्ताव तैयार हो चुका है। इसे 10 जुलाई तक केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने के लिए दिसंबर 2022 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है।

अटल प्रोग्रेस वे को आठ पैकेज में विभाजित किया गया है। पहला पैकेज राजस्थान और आठवां उत्तर प्रदेश में आएगा। जबकि, 306 किलोमीटर लंबाई के छह पैकेज मध्य प्रदेश की सीमा में आएंगे। इसकी निर्माण लागत सात हजार 997 करोड़ रुपये आंकी गई है। भूमि अधिग्रहण सहित अन्य व्यय मिलाकर यह आठ हजार 896 करोड़ रुपये होगी।

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