मध्य प्रदेशराज्य

10 साल पहले हुआथा सिंचाई घोटाला, लोकायुक्त केस के बाद अब दूसरी बार बनी तीन सदस्यीय कमेटी

भोपाल : प्रदेश में दस साल पहले दर्ज किए गए लोकायुक्त के प्रकरण के मामले में जांच के लिए जल संसाधन विभाग ने दूसरी बार तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इसके पहले इसकी जांच को लेकर गठित कमेटी से सितम्बर में रिपोर्ट मांगी गई थी लेकिन यह कमेटी रिपोर्ट नहीं दे पाई। अब इसके सदस्यों को फिर बदला गया है और एक माक में रिपोर्ट मांगी गई है। यह कमेटी सीहोर जिले की रामपुरा खुर्द सिंचाई परियोजना की जांच के बाद रिपोर्ट देगी।

सीहोर जिले की सिंचाई परियोजना को लेकर लोकायुक्त में प्रकरण क्रमांक सिं/39/22/2012-13 में कार्यपालन यंत्री अविनाश कुलकर्णी और सहायक यंत्री व्हीके जैन के विरुद्ध केस दर्ज किया गया था। इस मामले में जांच के बाद सामने आई अनियमितताओं की जांच अब विभाग अपने स्तर पर कराएगा।

इसकी जांच अधीक्षण यंत्री जल संसाधन मंडल भोपाल की अध्यक्षता में कराने के आदेश जारी किए गए हैं। जांच कमेटी में सदस्य सचिव यांत्रिकीय प्रशासकीय अधिकारी चंबल बेतवा कछार भोपाल और सहायक यंत्री कार्यालय प्रमुख अभियंता बारो कुलस्ते सदस्य होंगे। यह कमेटी एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी।

लोकायुक्त में हुई शिकायत के बाद इस मामले में कराई जा रही जांच के मामले में खुलासा हुआ है कि दोनों ही अफसरों ने रामपुरा खुर्द सिंचाई परियोजना में फर्जी टेंडर निकाले और ठेकेदार को नियम विरुद्ध लाखों रुपए का भुगतान किया गया।

इसके लिए मई 2011 से मई 2012 की अवधि के कैश अकाउंट, बजट आवंटन, व्यय स्वीकृति, चैकबुक की काउंटर फाइल, वाउचर की प्रतियां, माप पुस्तिकाएं चाही गई। इसे दिए जाने के बाद यह पाया गया कि पांच लाख से अधिक की राशि फोटोकापी पर खर्च की गई। इसके अलावा 50.19 लाख का भुगतान बगैर कोटेशन के कराया गया है जिसकी जानकारी बिल माप में नहीं पाई गई।

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