अन्तर्राष्ट्रीय

प्रचंड सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है नेपाली कांग्रेस: ओली

काठमांडू. नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने आरोप लगाया है कि सीपीएन (माओवादी सेंटर) के प्रमुख पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की नयी सरकार के विश्वासमत हासिल करने से पहले ही शेर बहादुर देऊबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांगेस उसे गिराने की कोशिश कर रही है। नेपाल के सत्तारूढ़ दल यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने रविवार को यहां प्रतिनिधि सभा के अपनी पार्टी के निर्वाचित सदस्यों के शिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘बाहरी शक्तियां” अब भी इसको लेकर कोशिश कर रही हैं कि क्या वे वर्तमान शासन को बदल सकती हैं। हालांकि उन्होंने किसी देश या संगठन का नाम नहीं लिया।

उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की अगुवाई वाली नेपाली कांग्रेस कुछ ‘विदेशी शक्तियों’ के समर्थन से नयी सरकार को विश्वासमत हासिल करने से पहले ही गिराने की कोशिश कर रही है। ओली ने कहा, “हमारे मित्र सामने के दरवाजे से प्रवेश नहीं कर रहे हैं। वे हमारे अंदरूनी मामलों में दखल देने के लिए दीवार लांघकर आने की कोशिश कर रहे हैं जो संभव नहीं है। एक पड़ोसी से इस तरह की हरकत की उम्मीद नहीं थी।”

उन्होंने हालांकि किसी देश का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि नेपालियों ने खुद ही नयी सरकार का गठन करके ‘बड़ी सफलता’ हासिल की है। उन्होंने कहा, “हम अपने आप ही सरकार बनाने में सक्षम हैं और मैं उनसे हमारे घरेलू मामलों में दखल नहीं देने की अपील करता हूं।”ओली का बयान मीडिया की इन खबरों के बीच आया है कि नेपाली कांग्रेस ने प्रतिनिधि सभा में पांचवें सबसे बड़े दल के रूप में उभरी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन को प्रधानमंत्री के पद की पेशकश की है। हालांकि नेपाली कांग्रेस ने इस खबर का खंडन किया है। प्रचंड को 26 दिसंबर को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी थी। उससे पहले वह नेपाली कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठजोड़ से नाटकीय ढंग से बाहर आ गये थे और विपक्षी नेता ओली के साथ हाथ मिला लिया था।

प्रचंड को सदन में स्पष्ट बहुमत के लिए 138 मतों की जरूरत है। ऐसी संभावना है कि वह 10 जनवरी को सदन में विश्वास हासिल करने का प्रयास करेंगे। उन्हें ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल -यूनीफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमल) और नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी समेत सात दलों के 169 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।

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