छत्तीसगढ़

योग को आत्मसात किए बिना सुखमय जीवन सम्भव नहीं,बच्चों को बचपन से ही योग करने की आदत डालें : ज्ञानेश शर्मा

रायपुर: अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर में योग महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका शुभारम्भ छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा, हेमचन्द यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा और स्थानीय संचालिका ब्रह्मद्दाकुमारी सविता दीदी ने किया। विषय था- मानवता के लिए योग। समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने कहा कि योग को आत्मसात किए बिना सुखमय जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उन्होंने सभा में उपस्थित लोगों से अपील की कि आप स्वयं तो योग करने के साथ ही अपने परिवारजनों को भी योग करने के लिए प्रेरित करें। खासकर बच्चों को बचपन से ही योग करने की आदत डालें।

उन्होंने कहा कि वर्तमान भागदौड़ की जिन्दगी में हम सुख और शान्ति की चाह में भौतिक सुख के साधनों के पीछे भाग रहे हैं। ऐसे प्रयासों से हम साधन तो प्राप्त कर लेते हैं किन्तु तनाव और अवसाद से भी ग्रसित होते जा रहे हैं। इसलिए सजगता जरूरी है। स्वस्थ रहने का सबसे आसान, सरल और सहज रास्ता है योग। वर्तमान समय योग आयोग के द्वारा अलग-अलग चालीस जगहों पर नियमित रूप से योगाभ्यास कराने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि योग आयोग के समस्त आयोजनों में ब्रह्माकुमारी संस्थान की भागीदारी जरूर होती है। उनका आयोग इस संस्थान के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने आगे बताया कि नवें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इक्कीस जून को ग्राम जोरा में इक्कीस हजार लोगों की उपस्थिति में योग दिवस मनाने का लक्ष्य रखा गया है।

विशिष्ट अतिथि हेमचन्द यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने कहा कि एक बच्चा जो कि तनावमुक्त रहता है। पूरे दिन में अनेक बार हंसता है किन्तु आजकल जीवन से हंसी गायब हो गई है। योग किसी भी प्रकार का हो उसे दिनचर्या में जरूर शामिल करें। वह स्वयं पिछले उन्तीस वर्षों से लाफ्टर योगा कर रही हैं और यह महसूस करती हैं कि उनके पूरे दिन का सबसे अच्छा समय वही होता है जबकि वह योग करती हैं। आजकल बड़े-बड़े कापोर्रेट्स घराने भी अपने कर्मचारियों को योग सिखलाने लगे हैं क्योंकि योग से कर्म में कुशलता आती है। योग हमें अनुशासित बनाता है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए स्थानीय संचालिका ब्रह्मद्दाकुमारी सविता दीदी ने कहा कि राजयोग एक सर्वोत्तम योग पद्घति है। इससे मनुष्य का तन और मन दोनों स्वस्थ और सात्विक बनता है। व्यायाम और योगासन करने से शरीर भले ही पुष्ट और बलवान बन जाए लेकिन मन की आन्तरिक शक्तियों को जागृत करने में पूर्ण सफलता नहीं मिलती। मन को तनावमुक्त और शक्तिशाली बनाने के लिए राजयोग मेडिटेशन अत्यन्त लाभकारी सिद्घ हुआ है। राजयोग में सभी योग समाहित हैं। सिर्फ एक दिन योग दिवस मनाकर इसे भूल मत जाएं बल्कि इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर दैनिक जीवन का अंग बनाना होगा। इससे ही सशक्त और मानवतावादी समाज बनाने में मदद मिलेगी।

इससे पहले विषय को स्पष्ट करते हुए राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी ने योग को अन्तर्जगत की यात्रा बतलाते हुए कहा कि आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा के साथ जोडऩा ही योग है। योग से मन की नकारात्मक विचारों का निषेध होता है। मन के विचारों का प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। इसीलिए कहा जाता है कि मन दुरूस्त तो सब दुरूस्त। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी वनिषा दीदी ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रबुद्घजन उपस्थित थे।

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