नई दिल्ली : दिल्ली सरकार और राजभवन के बीच हर दिन एक नया टकराव सामने आ रहा है। उपराज्यपाल की स्वीकृति के बिना दिल्ली सरकार और उससे जुड़े विभाग में सलाहकार, परामर्शदाता, सीनियर रिसर्च फैलो, विशेषज्ञ और अन्य पदों पर रखे गए 437 लोगों के वेतन पर तलवार लटकने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि यह दिल्ली सरकार और इसकी सेवाओं का गला घोंट देगी। मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाकर इसे तुरंत खत्म करने की मांग भी की है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सर्विसेज डिपार्टमेंट के आदेश को लेकर एलजी पर ठीकरा फोड़ते हुए गुरुवार सुबह ट्वीट किया, ‘यह दिल्ली सरकार और उसकी सेवाओं का पूरी तरह से गला घोंट देगा। मुझे नहीं पता कि यह सब करके माननीय एलजी को क्या हासिल होगा? मुझे उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इसे तुरंत रद्द कर देगा।’ नया विवाद ऐसे समय पर सामने आया है जब दिल्ली सरकार और राजभवन में सेवाओं पर अधिकार को लेकर पहले से जंग चल रही है।
अदरअसल, दिल्ली सरकार के सेवा विभाग में विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर ने इन नियुक्तियों में खामियां बताते हुए वेतन रोकने का लिखित आदेश जारी किया है। वित्त विभाग को लिखे गए पत्र में स्पष्ट किया है कि इन पदों पर लोगों की तैनाती बिना स्वीकृति के की गई है, इसलिए इनका वेतनमान तत्काल रोक दिया जाए। इसके साथ ही इनकी सेवाएं भी तत्काल रूप से बंद कर दी जाएं। दिल्ली सरकार से जुड़ी विधानसभा, योजना विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसायटी, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, डीटीसी, महिला और बाल कल्याण विभाग, पर्यावरण समेत अन्य और स्वायत्त निकायों में कुछ लोगों को रखा है। राजशेखर ने लिखा है कि इन सभी पदों पर तैनाती से पहले एलजी की मंजूरी अनिवार्य है। लेकिन नियमों को दरकिनार कर इनकी नियुक्ति की गई।
सरकार से जुड़े विभागों में 67, निगमों में 133, विभाग एवं संगठनों में 237 पदों पर इन लोगों की तैनाती की गई थी। सलाहकार को 2.65 लाख, परामर्शदाता को 1.25 लाख, फैलो को 1.25 लाख प्रतिमाह तक का वेतनमान दिया जा रहा था।