पाकिस्तान से मानव तस्करी की साजिश, भारतीय दलाल बन रहे हैं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
गुवाहाटी : मानव तस्करी को लेकर बुधवार को पूरे देश में एनआईए ने छापे मारे और 44 दलालों को गिरफ्तार किया। इस पूरे खेल के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की भूमिका सामने आ रही है। सुरक्षा एजेंसियों को संकेत मिल रहे हैं कि आतंकी संगठन भारत में घुसपैठ कराने के लिए आर्थिक मदद दे रहे हैं। गिरफ्तार 44 दलालों में तीन को पश्चिम बंगाल के बारासात और ठाकुरनगर से गिरफ्तार किया गया है। इनमें से दो की पहचान बांग्लादेशी नागरिक के रूप में हुई है। आतंकी गुटों के इशारों पर ही बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को भारत के विभिन्न राज्यों में स्थापित कर रहे हैं।
भारत की कुल भूमि सीमा 15,106.7 किमी है। वहीं, इसकी तटीय रेखा 7516.6 किमी है। भारत अपने 7 पड़ोसी देशों के साथ सीमा साझा करता है। हालांकि, भारत की सबसे लंबी सीमा बांग्लादेश के साथ लगती है। इसकी कुल लंबाई 4096.70 किमी (2,545-मील) है। इसके अलावा बांग्लादेश के साथ चार अन्य राज्य असम, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा सीमाएं साझा करते हैं।
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी बताते हैं, भारत में प्रवेश के लिए बंगाल और त्रिपुरा सबसे आसान रास्ते हैं। इसका कारण है, भाषा। बंगाल और त्रिपुरा में तो लोग बांग्ला बोलते हैं और असम की सीमावर्ती इलाकों में भी बांग्ला बोलने वाले लोग रहते हैं। भाषा के कारण कोई भी इनको बहुत जल्दी पहचान नहीं पाता। इसलिए त्रिपुरा, बंगाल और असम के सीमावर्ती क्षेत्र जहां पर बांग्लादेश की सीमा लगती है, आसानी से प्रवेश कर जाते हैं या फिर ट्रेन के माध्यम से भारत में प्रवेश करते हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि भारत में प्रवेश कराने से पहले बांग्लादेशी और भारत के दलालों में बातचीत होती है। समय और स्थान तय किया जाता है। कइयों के पहले ही फर्जी दस्तावेज बनाए जाते हैं। जिन बांग्लादेशी या रोहिंग्याओं के फर्जी दस्तावेज बन जाते हैं, उनको ट्रेन से भारत भेजा जाता है। हर बार यह भी जरूरी नहीं होता। कई बार बिना दस्तावेजों के भी ट्रेन से भारत में प्रवेश कराए जाते हैं।
सूत्रों ने बताया, बांग्लादेश और भारत में एक बड़ा गिरोह और दलाल मानव तस्करी के लिए काम कर रहा है, जो बांग्लादेश से बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को भारत में प्रवेश कराता है। इस गिरोह के सदस्यों की संख्या बांग्लादेश में कम और भारत में अधिक है। बांग्लादेश में बैठे गिरोह के सदस्य सबसे पहले उन लोगों की पहचान करते हैं, जो गरीब हैं, नाबालिक हैं और जिनको काम की जरूरत है। इसके बाद इनको लालच दिया जाता है।
रक्षा जानकार कहते हैं कि यह देश के खिलाफ एक अघोषित युद्ध की तरह है। निश्चित ही इसमें पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठनों का हाथ है। भले ही यह शुरुआती जानकारी हो, लेकिन जब तक किसी का हाथ नहीं होगा, इतने बड़े स्तर पर यह काम नहीं हो सकता। इसके तार-तार कहां-कहां तक जुड़े हैं, निश्चित ही जांच के बाद सब कुछ सामने आ जाएगा।