उत्तराखंड

उत्तराखंड में ‘204 साल पुराना’ यह ‘ब्रिटिश कानून’ खत्म करेंगे ‘सीएम धामी’

देहरादून (गौरव ममगाईं)। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश काल के समय से चले आ रहे अपराध से जुड़े कानून को खत्म कर नया कानून सौंप ऐतिहासिक काम किया। तो वहीं अब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी आने वाले दिनों में कुछ ऐसा ही बड़ा व ऐतिहासिक कर सकते हैं। दरअसल, सीएम धामी ब्रिटिश भारत के समय से चले आ रहे 204 साल पुराने राजस्व कानून को खत्म करने की तैयारी में हैं। 22 दिसंबर को हुई कैबिनेट मीटिंग में इसका प्रस्ताव भी पारित कर दिया है। अब आगामी विधानसभा सत्र में इस कानून को खत्म किये जाने की संभावनाएं है।

क्या है यह राजस्व कानून ?

दरअसल, आज देशभर में कानून व्यवस्था पुलिस के अधीन है, लेकिन ब्रिटिश भारत के समय पुलिस का गठन बहुत बाद में हुआ। तब पूरे देश में कानून व्यव्स्था की जिम्मेदारी राजस्व पुलिस देखती थी, लेकिन बाद में भारत में 1790 के दशक में तात्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नावालिस ने पहली बार रेगलुर पुलिस का गठन किया था। प्रत्येक जिले में थानेदार की नियुक्ति की गई थी, जो कानून व्यवस्था संभालते थे। लेकिन, कई ब्रिटिश प्रांतों में वहां के ब्रिटिश गवर्नरों ने राजस्व पुलिस की व्यवस्था को नहीं हटाया। आजादी के बाद भारत व राज्य सरकारों ने रेगुलर पुलिस को कानून व्यवस्था की मुख्य जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन कई पर्वतीय राज्यों में दुर्गम क्षेत्रों में राजस्व पुलिस को ही कानून का जिम्मा सौंपे रखा, जो उत्तराखंड समेत कई पर्वतीय राज्यों के दुर्गम क्षेत्रों में आज भी लागू है। अंकिता भंडारी हत्या मामले में भी राजस्व पुलिस की सदियों पुरानी व्यवस्था को खत्म करने की मांग उठी थी। क्योंकि घटना का क्षेत्र राजस्व पुलिस के अधीन था और राजस्व पुलिस ने कार्रवाई में कई दिन की देरी की थी।

क्या है कानून का इतिहास ?

उत्तराखंड में राजस्व पुलिस कानून का इतिहास 204 साल पुराना है। इस व्यवस्था की शुरुआत 1819 में उत्तराखंड के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर विलियम ट्रेल ने की थी, तब ट्रेल ने यहां दो राजस्व निरीक्षक के पद सृजित किये थे, जिसे हम पटवारी के नाम से जानते हैं। इसके बाद कई गवर्नरों ने अपने-अपने कार्यकाल में राजस्व निरीक्षक के पदों में वृध्दि की। लेकिन, 1874 में तत्कालीन गवर्नर हैनरी रैम्जे ने राजस्व पुलिस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू कर दिया था।

 जाहिर है कि आज साइबर अपराध की चुनौतियों के चलते राजस्व पुलिस की सदियों पुरानी व्यवस्था का कोई औचित्य नहीं रहता। राजस्व पुलिस को न रक्षा ट्रेनिंग मिलती है न तकनीकी प्रशिक्षण। ऐसे में सीएम धामी इस कमी को समझते हुए बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। इसे सीएम धामी के अपराध पर पूरी तरह लगाम लगाने की योजना के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।

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