भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण जरूरी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
तुरा/शिलांग: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने मंगलवार को कहा कि देश के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने के लिए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तिकरण आवश्यक है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि महिला नीत विकास का विचार तभी लागू किया जा सकता है जब महिलाओं को अपनी पसंद के अनुसार चयन करने की स्वतंत्रता मिले। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्वतंत्रता के साथ, यह कुछ हद तक संभव हो पाया है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक आत्मनिर्भरता से महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने मेघालय के तुरा में बलजेक हवाई अड्डे पर स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के साथ बातचीत की। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘देश के वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने के लिए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तिकरण आवश्यक है।”
मुर्मू ने कहा कि देश की महिलाएं अपनी पहचान बना रही हैं और प्रत्येक क्षेत्र में अन्य महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। चाहे वह क्षेत्र रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, खेल, शिक्षा, उद्यमिता, कृषि या कोई भी अन्य क्षेत्र हो। महिलाओं को केवल कुछ प्रेरक शब्दों, प्रोत्साहन और अच्छे कार्यों पर सराहना की आवश्यकता होती है।” राष्ट्रपति ने स्वयं-सहायता समूहों के सदस्यों से कहा कि वे विकास के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें और अन्य महिलाओं को भी आगे बढ़ाएं।
उन्होंने कहा कि यह अकेले उनकी यात्रा नहीं है, बल्कि हमारे देश में बड़ी संख्या में महिलाओं की यात्रा है, जिन्हें अभी भी अपने घरों की चारदीवारी से परे अवसरों का पता लगना बाकी है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने क्षेत्र और देश की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनना चाहिए। इस मौके पर मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने कहा, ‘‘हम हमारे राज्य के पहले दौरे के लिए हमारी आदरणीय राष्ट्रपति के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होने के नाते, यह वास्तव में हम सब के लिए एक बहुत ही विशेष क्षण है।”
संगमा ने कहा कि जब उन्होंने 2018 में सरकार संभाली तो मेघालय में ‘‘हमारे यहां 4,600 से भी कम स्वयं सहायता समूह थे। 5-6 वर्षों में, हम समूहों की संख्या को लगभग 45,000 तक बढ़ाने में सक्षम हुए हैं। आज, प्रत्येक ग्रामीण परिवार की लगभग एक महिला किसी न किसी स्वयं सहायता समूह का हिस्सा है। हमारी सरकार योजना-आधारित विकास में विश्वास नहीं करती है। हम मेघालय के युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए हितधारक-आधारित दृष्टिकोण, एक उद्देश्य-संचालित दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं।”
बलजेक हवाई अड्डे पर कार्यक्रम के बाद, राष्ट्रपति शिलांग पीक रोपवे परियोजना की आधारशिला रखने और अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए शिलांग पहुंची। मुर्मू ने मावफलांग में एक जनसभा को संबोधित किया और डिजिटल माध्यम से उन्नत रोंगजेंग मांगसांग एडोकग्रे रोड और मैरांग रानीगोडाउन अजरा रोड का उद्घाटन किया। उन्होंने शिलांग पीक रोपवे और कोंगथोंग, मावलिंगोट और कुडेनग्रिम गांवों में पर्यटक आवास की आधारशिला रखी।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से जनजातीय लोग अपने मूल जातीय ज्ञान, संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर पर्यावरण संरक्षण के अगुआ रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि मेघालय के लोगों का मानना है कि ‘यू बासा’ या देवी हरे-भरे जंगलों के बीच निवास करती हैं। मेघालय में मुर्मू के स्वागत के लिए पोस्टर लगाए गए लेकिन हैरानी की बात ये रही कि उनमें राष्ट्रपति की तस्वीर नहीं बल्कि राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा की तस्वीर लगी थी।
ये पोस्टर राज्य की राजधानी शिलांग और पश्चिम गारो हिल्स जिले के तुरा शहर में विभिन्न स्थानों पर लैंप पोस्ट, खंभों और पेड़ों पर लगाए गए थे, जिनमें उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसोंग और स्नियावभालंग धर की तस्वीरें भी थीं। राष्ट्रपति के बजाय स्थानीय नेताओं की तस्वीरों वाले पोस्टर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) युवा मोर्चा को पसंद नहीं आए और उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार की आलोचना की।