नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस से अलग होकर राज्य में अकेले सभी लोक सभा सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले को हताशा का संकेत बताते हुए पश्चिम बंगाल भाजपा के सह प्रभारी एवं भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ने का ममता बनर्जी का फैसला हताशा का संकेत है। अपनी राजनीतिक जमीन बरकरार रखने में असमर्थ ममता बनर्जी सभी सीटों पर इस उम्मीद से चुनाव लड़ना चाहती है ताकि चुनाव के बाद भी वह प्रासंगिक बनी रहें।
मालवीय ने उनकी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा को विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए एक मौत की घंटी भी बताया है। मालवीय ने ममता बनर्जी के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर पोस्ट कर कहा, “पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ने का ममता बनर्जी का फैसला हताशा का संकेत है। अपनी राजनीतिक जमीन बरकरार रखने में असमर्थ, वह सभी सीटों पर लड़ना चाहती हैं, इस उम्मीद में कि चुनाव के बाद भी वह प्रासंगिक बनी रह सकती हैं।”
मालवीय ने आगे कहा, “विपक्षी गठबंधन के चेहरे के रूप में उभरने की उनकी इच्छा के विपरीत, किसी ने भी उनके नाम का प्रस्ताव नहीं रखा। राष्ट्रीय प्रोफ़ाइल बनाने के लिए उनकी दिल्ली की कई यात्राएं भी काम नहीं आईं। वह चुनाव के बाद की हिंसा के खून को छिपा नहीं सकीं और तुष्टीकरण की राजनीति की दुर्गंध से खुद को मुक्त नहीं कर सकीं। शर्मिंदा ममता ने अपना चेहरा बचाने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे की वकालत की और खुद को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया।”
मालवीय ने विपक्षी खेमे में किसी के भी ममता बनर्जी के साथ नहीं होने की बात कहते हुए यह भी कहा कि ममता बनर्जी को इसका एहसास हो गया था और वह लंबे समय से इससे बाहर निकलने के लिए जमीन तैयार कर रही थीं। राहुल गांधी की यात्रा और विपक्षी गठबंधन के लिए ममता बनर्जी के फैसले को बड़ा झटका बताते हुए भाजपा नेता ने आगे यह भी कहा, “लेकिन तथ्य यह है कि राहुल गांधी के सर्कस के बंगाल में आने से ठीक पहले उनकी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा आई.एन.डी.आई. गठबंधन के लिए एक मौत की घंटी है।”