अन्तर्राष्ट्रीय

ताइवान को बचाने की ‘औकात’ अमेरिका में नहीं, चीन ने बाइडेन को दी ‘बर्बाद’ करने की धमकी

बीजिंग: ताइवान को लेकर चीन की सरकारी मीडिया ने एक बार फिर जहर उगला है और कहा है कि, चीनी सैनिक ताइवान की रक्षा के लिए भेजे गए किसी भी अमेरिकी सेना पर हमला करने के लिए तैयार हैं। चीन की भोंपू मीडिया ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि, ताइवान को बचाने के लिए अगर अमेरिका अपने सैनिकों को भेजता है, तो फिर द्वीप पर युद्ध छिड़ जाएगा। अमेरिकी कसम के खिलाफ धमकी अमेरिकी कसम के खिलाफ धमकी चीन के कम्युनिस्ट शासकों के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स अखबार ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन द्वारा कसम खाने के बाद धमकी जारी की है, जिसमें अमेरिका ने कहा था, कि वाशिंगटन कभी भी चीनी आक्रमण की अनुमति नहीं देगा।

जिसको लेकर चीन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि, ”इस तरह की धमकियां विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि अमेरिका ताइवान की रक्षा की लागत को ‘वहन नहीं कर सकता’। अखबार ने सुलिवन से अपना ‘बड़ा मुंह’ बंद करने और ‘अपने देश के लिए और अधिक शर्मिंदगी पैदा करने’ से बचने का आग्रह भी किया। इसके साथ ही चीन ने ताइवान के एयर डिफेंस क्षेत्र में अपनी ताकत का इजहार करने के लिए 13 लड़ाकू विमानों को फिर से भेज दिया, जिनमें आठ लड़ाकू विमान और दो परमाणु-सक्षम बमवर्षक फाइटर जेट शामिल थे।

ताइवान ने की पुष्टि ताइवान ने की पुष्टि ताइवान ने कहा कि, चीन ने जिन युद्धक विमानों को भेजा, उनमें छह जे-16 लड़ाकू विमान, दो जे-10 लड़ाकू विमान, दो एच-6 बमवर्षक, एक वाई-8 जासूसी विमान, एक वाई-8 पनडुब्बी रोधी विमान, एक केजे-500 जासूसी विमान शामिल थे। ताइवानी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि, लड़ाकू विमानों, पनडुब्बी रोधी विमानों और केजे-500 विमानों ने शुक्रवार को ताइवान के ‘वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड)’ में घुसपैठ की है। ताइवान को अपने एडीआईजेड में उड़ान भरने वाले सभी विमानों को खुद की पहचान करने और अपने इरादे बताने की आवश्यकता है। यह क्षेत्र देश के प्रादेशिक हवाई क्षेत्र से भिन्न है। ‘अमेरिका में इच्छा का अभाव’ ‘अमेरिका में इच्छा का अभाव’ ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका पर तंज कसते हुए लिखा है कि, ‘कोई भी यह नहीं मानता है कि अमेरिका में ताइवान की हर कीमत पर रक्षा करने की सच्ची इच्छा है।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ने लिखा है कि, ‘अमेरिका एक घातक युद्ध की कीमत पर “ताइवान की रक्षा” करने से बहुत दूर है।’ चीनी अखबार ने अमेरिका को धमकाते हुए लिखा है कि, ”अमेरिका भले ही ये माने कि ताइवान में सेना को भेजना समस्या का समधान है, लेकिन असलियत ये है कि, वो ताइवान में आकर खुद पर हमला होता पाएंगे”। चीन ने धमकी देते हुए कहा है कि, ”अगर अमेरिका ताइवान को सैन्य सहायता प्रदान करने की कोशिश करता है, तो उन हथियारों को पीपुल्स लिबरेशनव आर्मी के द्वारा नष्ट कर दिया जाना तय है”। चीनी अखबार ने लिखा है कि, ”यह पक्का है कि, चीन की सेना ताइवान को बचाने आने वाली अमेरिकी सैनिकों पर भारी हमला करेगी और ताइवान पर अमेरिका का प्रतिरोध उसके लिए भारी पड़ेगा”। ”डिप्लोमेसी में फायदा” ”डिप्लोमेसी में फायदा” ग्लोबल टाइम्स ने धमकी देते हुए कहा है कि, अगर अमेरिका वास्तव में चाहता है कि, चीन ताइवान के अंदर घुसपैठ नहीं करे, तो उसे ताइवान को चीन के साथ डिप्लोमेसी के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। ‘अगर अमेरिका ताइवान द्वीप को चीन की मुख्य भूमि पर कब्जा करने वाला मोहरा मानता रहा और [सरकार] को गलत संकेत भेजता रहा, तो स्थिति और खराब होती जाएगी।’ चीनी मीडिया ने कहा कि, ‘ताइवान प्रश्न को बलपूर्वक हल करना चीनी मुख्य भूमि के लिए अपरिहार्य और एकमात्र विकल्प बन जाएगा।’

आपको बता दें कि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2019 में दिए भाषण में कसम खाते हुए कहा था कि, यदि आवश्यक हुआ तो ताइवान को एकजुट करने के लिए बल का प्रयोग भी किया जा सकता है। ताइवान-अमेरिका संधि ताइवान-अमेरिका संधि आपको बता दें कि, अमेरिका और ताइवान की सरकारों के बीच लंबे वक्त से सहयोग और संधि रहा है। जिनमें ये भी कहा गया है कि, ताइवान की रक्षा करने के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है और 1970 के दशक में पारित संधियों की वजह से अमेरिका ताइवान को हथियार देने के लिए भी बाध्य है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अमेरिका भले ही ताइवान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अभी तक अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर स्पष्ट नहीं किया है, कि अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो उस स्थिति में अमेरिका क्या करेगा? हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने पिछले कुछ इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, अगर ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका को सेना भेजने की जरूरत हुईतो अमेरिका सेना भेजने से पीछे नहीं हटेगा।

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