बैंक के कर्मचारी की कुर्सी से गिरने से मौत, सहकर्मियों ने लगाया ‘काम के दबाव’ का आरोप
लखनऊ: हाल ही में, पुणे में अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) इंडिया की एक महिला कर्मचारी की कथित तौर पर अधिक काम के कारण मौत के बाद, लखनऊ में एचडीएफसी बैंक की एक महिला कर्मचारी सदाफ फातिमा की भी काम के दबाव में मौत की खबर आई है। यह घटनाएं भारतीय कार्यस्थलों में बढ़ते तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की ओर इशारा करती हैं।
लखनऊ में सदाफ फातिमा की मौत
सदाफ फातिमा एचडीएफसी बैंक की गोमती नगर स्थित विभूति खंड शाखा में अतिरिक्त उप-उपाध्यक्ष के पद पर तैनात थीं। उनके सहकर्मियों का कहना है कि उनकी मौत बैंक परिसर में कुर्सी से गिरने के बाद हुई। फातिमा को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनका शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। इस घटना पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चिंता जताते हुए कहा कि सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में काम का दबाव और तनाव समान हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि नौकरीपेशा लोगों की स्थिति “बंधुआ मजदूरों” से भी बदतर हो गई है, क्योंकि उन्हें अपनी परेशानियों के बारे में बोलने का अधिकार नहीं है।
अखिलेश यादव ने की कटाक्ष
अखिलेश यादव ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाल के सुझाव पर भी कटाक्ष किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि काम के दबाव को प्रबंधित करने के लिए युवाओं को तनाव प्रबंधन के पाठ की आवश्यकता है। यादव ने कहा कि “कामकाजी परिस्थितियों को सुधारने के बजाय, सरकार युवाओं को दबाव झेलने की ताकत विकसित करने की सलाह दे रही है,” और यह स्थिति और भी चिंताजनक है।
पुणे में अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की कहानी
पुणे में, अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल, जो 2023 में अपनी सीए की परीक्षा पास की थीं, ने ईवाई इंडिया में केवल चार महीनों तक काम किया। उनकी मां का आरोप है कि अन्ना की मौत अधिक काम के महिमामंडन का परिणाम थी। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी इस कंपनी में शामिल होने के लिए बहुत उत्साहित थीं, लेकिन चार महीनों के भीतर ही अत्यधिक कार्यभार के कारण उन्हें अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ा। अन्ना ने देर रात और सप्ताहांत पर भी काम किया, और कई दिनों तक थकी हुई अपने पीजी आवास पर लौटती थीं। उनके अंतिम संस्कार में कंपनी का कोई भी सदस्य नहीं आया, जिससे परिवार की पीड़ा और भी बढ़ गई।
क्या है मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
ये घटनाएं भारतीय कार्यस्थलों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को उजागर करती हैं। लगातार काम के दबाव और अपेक्षाओं के कारण कर्मचारी तनाव का शिकार हो रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएं एक महत्वपूर्ण संदेश देती हैं कि कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और कर्मचारियों के कल्याण के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए। पुणे और लखनऊ में हुई इन दुखद मौतों ने काम के दबाव के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। कार्यस्थल पर कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और कार्य जीवन में संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है। यह न केवल कर्मचारियों के लिए आवश्यक है, बल्कि समग्र उत्पादकता और कार्यस्थल के माहौल के लिए भी महत्वपूर्ण है।