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B’Day Special- जब नौकरी छोड़ केजरीवाल ने राजनीति में रखा कदम

kejriwal birthdayनई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल आज अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं। सीएम केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 में हरियाणा के हिसार जिले में हुआ था। उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में, 1992 में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए, और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया। अपनी अधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू कर दी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू की जंग के लिए छोड़ दी नौकरी
भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू की अपनी जंग के लिए फरवरी 2006 में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया, और पूरे समय के लिए सिर्फ ‘परिवर्तन’ में ही काम करने लगे। अरुणा रॉय और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर, उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया, दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया। अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया।
आंदोलनों का दौर
केजरीवाल को 2006 में उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने भारत के सूचना अधिकार अर्थात सूचना कानून (सूका) के आन्दोलन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाया। केजरीवाल ने सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बना कर सबसे गरीब नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सशक्त बनाने हेतु सामाजिक आन्दोलन किया। इसके बाद, जुलाई 2006 में, उन्होंने पूरे भारत में आरटीआई के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए एक अभियान शुरू किया। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अरविंद ने अब अपने संस्थान के माध्यम से एक आरटीआई पुरस्कार की शुरुआत की है। सूचना का अधिकार गरीब लोगों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही आम जनता और पेशेवर लोगों के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। 6 फरवरी 2007 को, अरविंद को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन ‘इन्डियन ऑफ़ द इयर’ के लिए नामित किया गया।
राजनीतिक सफर
arvind-kejriwal-latest2-2 अक्तूबर 2012 को गांधीजी और शास्त्रीजी के चित्रों से सजी पृष्ठभूमि वाले मंच से अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत की। केजरीवाल ने अन्ना के साथ मंच पर उनका साथ दिया और ‘मैं आम आदमी हूं टोपी का काफी ट्रेड चला। इस आंदोलन में उनके साथ किरण बेदी भी साथ रहीं।
-26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियमित की 63वीं वर्षगांठ के अवसर पर केजरीवाल ने ‘आम आदमी पार्टी’ की आधिकारिक घोषणा की।
-आम आदमी पार्टी का उदय अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के बीच वैचारिक भेद बनकर उभरा। अन्ना केजरीवाल से अलग हो गए।
-राजनीतिक दल बनाने की विधिवत घोषणा के साथ उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी जो नेहरू परिवार की उत्तराधिकारी और संप्रग की मुखिया हैं, के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और भूमि-भवन विकासकर्ता कम्पनी डीएलएफ के बीच हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया।
-टीम अन्‍ना से अलग होने के बाद अरविंद केजरीवाल और टीम अन्‍ना की प्रमुख सदस्‍य किरण बेदी के बीच मतभेद हो गया। कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर घेराव में किरण बेदी शामिल नहीं हुई जिसको लेकर केजरीवाल ने कहा कि किरण के मन में भाजपा को लेकर सॉफ्ट कार्नर है जबकि मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों समान रूप से जिम्मेदार हैं।
-उन्होंने 2013 में दिल्ली विधानसभा में चुनाव लड़ा और 15 साल से मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान कांग्रेस की शीला दीक्षित को 8 के मुकाबले 28 सीट से हरा कर जीत हासिल की और भारत के पहले इतनी कम उम्र के मुख्यमंत्री बन गए। 26 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपत ली।केजरीवाल के साथ उनके छह अन्‍य मंत्रियों ने भी शपथ ली। केजरीवाल ने मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किया।
कामकाज संभालने के पहले ही दिन ‘आप’ की सरकार ने वित्त सचिव, ऊर्जा सचिव और दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के पद पर तैनात अधिकारियों का तबादला कर दिया। लेकिन एक बार फिर केजरीवाल पर संकट के बादल घिर गए। अपने ही मंत्रियों के आपसी विवाद से घिर तो उन्होंने आहत होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन दिल्लीवासियों एक बार फिर से केजरीवाल पर अपना विश्वास दिखाया और फरवरी 2015 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनी। दिल्ली में अब केजरीवाल सरकार को पूरे एक साल हो गए हैं।
मोदी विरोधी छवि को लेकर चर्चा में
केजरीवाल अक्सर अपने भाषणों में पीएम मोदी का नाम लेना नहीं भूलते। इसलिए केजरीवाल सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर अक्सर रहते हैं।

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