साहित्य सृजन में इतिहास के तत्व रहते है: हृदय नारायण दीक्षित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लिखी ‘पुस्तक-राजपथ पर एक सच्चा संन्यासी‘ का विधानसभा अध्यक्ष ने किया विमोचन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश प्रदेश हिन्दी संस्थान एवं अनामिका प्रकाशन, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी के जीवन और व्यक्तित्व पर केन्द्रित पुस्तक ‘राजपथ पर एक सच्चा संन्यासी‘ का लोकार्पण दिन शुक्रवार, 30 जुलाई, 2021 को अपराह्न 3.30 बजे से हिन्दी संस्थान के यशपाल सभागार में किया गया।
डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में आयोजित पुस्तक लोकार्पण में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री हृदय नारायण दीक्षित, मा0 अध्यक्ष, विधान सभा, उत्तर प्रदेश एवं श्री सुरेश खन्ना, मा0 संसदीय कार्यमंत्री उपस्थित हुये।
सम्माननीय अतिथि के रूप श्री सुरेश खन्ना, माननीय संसदीय कार्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने अपने सम्बोधन में कहा -योगी जी का जीवन बहुरंगी व्यक्तित्व का है, वे कर्मठ एवं कुशल प्रशासक के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। धर्म हमें कर्तत्व सिखाता है। योगी जी एक धर्मपरायण व्यक्ति है जिसकी छाप पूरे प्रदेश पर पड़ी है। उनका उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश में बदला जाये। वे हमेशा एक बड़े सिद्धान्त व विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति है। राजनीति के क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही चली जा रही है। वे साहित्यिक अभिरुचि के व्यक्ति है। न्याय एवं ईमानदारी के पक्षधर हैं। उन्होंने सन्यास धर्म का पालन भी किया है। उनकी छवि एक निर्भीक राजनीतिज्ञ के रूप में जानी जाती है। उनकी कुशल प्रशासनिक व्यवस्था के कारण ही प्रदेश निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
मुख्य अतिथि के रूप में श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा -हमारे देश में इतिहास बोध को महत्व दिया जाता है, जो देश इतिहास को महत्व नहीं देता, इतिहास उसे कभी माफ नहीं करता है। साहित्य सृजन में इतिहास के तत्व रहते हैं। यह पुस्तक नाथ सम्प्रदाय की सुन्दर जानकारी प्रदान करती है। लेखक ने इस पुस्तक में इतिहास में हस्तक्षेप करते हुए अपनी लेखनी चलायी है। लेखक ने योगी जी के व्यक्तित्व के राष्ट्रवादी, धार्मिक, निर्भीकता, बिरलता का व्यौरेवार चित्रण अपनी पुस्तक में किया है। लेखक ने पूरी पुस्तक में योगी जी के लोक श्रद्धाभाव को अच्छे ढ़ंग से चित्रित किया है। योगी जी लोकतंत्र की धारणा के प्रति पूर्ण श्रद्धावान हैं। लेखक ने अपनी पुस्तक में नाथ सम्प्रदाय पर विशेष जानकारी प्रदान की है।
इस अवसर पर पधारें सभी अतिथियों के प्रति भी हम साधुवाद व्यक्त करते हैं। आपने कोरोना की विषम परिस्थिति में भी यहाँ उपस्थित होकर न केवल हमारा मनोबल बढ़ाया बल्कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने में भी सहयोग दिया। हम विशेष आभारी हैं, श्री दिनेश कुमार शुक्ल, प्रबंध निदेशक, अनामिका प्रकाशन एवं मानस कार्तिकेय के प्रति जिन्होंने यशस्वी मुख्यमंत्री के जीवन और उनके व्यक्तित्व पर केन्द्रित पुस्तक का प्रकाशन किया। सभी पत्रकारों, मीडिया कर्मियों को भी शुभकामनाएँ आपका सहयोग हमें निरन्तर मिलता रहता है।अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा – धर्म का सम्बन्ध कर्तव्य बोध से होता है।
इस पुस्तक में लेखक ने इतिहास को बनते हुए देखा है। जो लेखक ने देखा उसे अपनी पुस्तक में रेखांकित भी किया। लेखक ने योगी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विस्तार से वर्णन किया है। योग साधना का महत्व नाथ सम्प्रदाय में अधिक रहा है। योगी जी निष्काम कर्म की साधना अपने जीवन में उतार कर प्रदेश के सांस्कृतिक पक्ष को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। पुस्तक महत्वपूर्ण जानकारी से परिपूर्ण है। इस पुस्तक से निश्चित रूप से नाथ सम्प्रदाय, योग दर्शन आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करती है। पुस्तक यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्य नाथ जी के जीवन और व्यक्तित्व पर आधारित है, साथ ही प्रेरणादायी है।