स्तम्भ
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कोरोना महामारी से मानवता व्यथित
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : विश्व अशांत है। कोरोना महामारी से विश्व मानवता पर व्यथित है। दुनिया भयग्रस्त है। मृत्यु सामने…
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कोरोना महामारी से दुनिया में विषाद-अवसाद का वातावरण
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : कोरोना महामारी ने दुनिया भर में विषाद अवसाद का वातावरण बनाया है। लोगों में हताशा है।…
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कोरोना वायरस : सतर्कता की बात ठीक, डराना सही नहीं
हृदयनारायण दीक्षित लखनऊ : कोरोना महामारी है। महमारी की इस अवधि में हजारों विद्वान व विशेषज्ञ प्रकट हो गए हैं।…
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…आखिर हिंदी वालों की हिंदी से इतनी दूरी क्यों!
उमेश यादव हमें दुनिया से रूबरू कराने वाली हमारी मात्र भाषा हिंदी है। जन्म के बाद गोद में बच्चा पहला…
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भारतवर्ष : आज की स्थिति, लक्ष्य, दिशा और तदर्थ कार्य
के.एन. गोविन्दाचार्य 1980 से लेकर 2020 तक चली उदारीकरण या वैश्वीकरण की प्रक्रिया का भारत पर क्या असर पड़ा?, इसका…
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नव-स्वर्ग” ने की संकट में “मुस्कान के साथ सेवा”
पूर्वोत्तर रेलवे की अनोखी पहल से महामारी में लोगों को मिली मदद लखनऊ, 27 जून दस्तक (ब्यूरो): जीवन सदैव चुनौतियों…
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जन मन की बात: पतंजलि की कोरोना पर बनी दवा पर रोक
उमेश यादव सस्ती लोकप्रियता का प्री प्लान या लाइसेंस के लिये अधूरा ज्ञान! जब कभी कोई बड़े बैनर की फ़िल्म…
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भारत की आर्थिक और सामाजिक स्थिति (सन 1980-2020) : एक विहंगावलोकन
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-3 वियतनाम की तरह ब्राजील ने भी गन्ना के क्षेत्र मे अपने उत्पादन को दो धाराओं मे बाँट…
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देश पर संकट के समय ओछी राजनीति करता गांधी परिवार
संजय सक्सेना लखनऊ : करीब छह वर्ष पूर्व देश की जनता ने कांगे्रस से दिल्ली का ‘राजपाठ’ छीन कर मोदी…
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सांसद आदर्श ग्राम योजना को ‘दम तोड़ते’ देखना दुखद
संजय सक्सेना लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रथम कार्यकाल की अति-महत्वाकाक्षी ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ को लेकर जो नतीजे…
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क्यों न अनाथालय को वृद्धाश्रम से जोड़ दिया जाए
कवि दशरथ प्रजापत राजस्थान: छोटी—छोटी व्यवस्थाओं से लोगों को अपार खुशी प्रदान की जा सकती हैं। देश में ऐसे कई…
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भारत की आर्थिक और सामाजिक स्थिति (सन 1980-2020) : एक विहंगावलोकन
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-2 उसी प्रकार की बात विदेश व्यापार के नियमों के बारे मे भी अनुभव मे आती है। शोषण…
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सुशांत सिह राजपूत: आत्महत्या या हत्या की साजिश?
डॉ. धीरज फुलमती सिंह मुबंई: पटना से आया एक लड़का जब सिनेमा के रुपहले पर्दे पर मुस्कुराता था तो कई…
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भारत की आर्थिक और सामाजिक स्थिति (सन 1980-2020) : एक विहंगावलोकन
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-1 द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और संयुक्त राष्ट्र संघ आदि वैश्विक संगठनों के बाद ही सरकारवाद, जिसे…
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…फिर सामने आया बालिका संरक्षण गृह का ‘पाप’
संजय सक्सेना लखनऊ : उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर के राजकीय बाल गृह (बालिका) में करीब 59 नाबालिग लड़कियों…
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इक्कीसवीं सदी की भारत की यात्रा-एक पृष्ठभूमि
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-3 2005 के बाद पूरी दुनिया में “विकास” के बारे में बहस भी शुरू हो गई। 2008 के…
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यारी डीजल और पेट्रोल की
ज्ञानेन्द्र शर्मा प्रसंगवश स्तम्भ: पेट्रोल, डीजल और बिजली की दरों में सरकार द्वारा समय-समय पर की जाने वृद्धि विपक्ष की…
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उत्तर पूर्वी भारत में नृजातीय पहचान बचाने की कवायद
विवेक ओझा स्तम्भ: उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों के लिए नृजातीय समुदायों के अधिवास की समस्या एक बड़ी चुनौती के रूप…
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इक्कीसवीं सदी की भारत की यात्रा-एक पृष्ठभूमि
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-2 भारत पहले रूस, फिर थोड़े समय चीन और 1990 से अमेरिका बनने की कोशिश मे लगा। पर…
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चीन विवाद : जनभावनाओं को समझने में चूकती कांग्रेस
डॉ अजय खेमरिया स्तम्भ : राहुल गांधी कांग्रेस के लिए तब तक अपरिहार्य राजनीतिक समस्या बने रहेंगे जब तक वे…
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इक्कीसवीं सदी की भारत की यात्रा-एक पृष्ठभूमि
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-1 जैसा कई बार कहा जा चुका है कि समाज मे पिछले 500 वर्षों मे जो बदलाव आया…
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प्रवासी मजदूर और गरीब कल्याण रोजगार योजना
कन्हैया पांडे नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी ने संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। वर्तमान समय में पूरा…
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जीवन के आनन्द का आधार है योग का नियमित अभ्यास
डॉ. योगी रवि नई दिल्ली: युज धातु से उत्पन्न योग का अर्थ है अपूर्णता का पूर्णता से मिलन। व्यवहारिक रूप…
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बदले-बदले से दिखे नरेंद्र भाई !
स्तम्भ: 19 जून 2020 को लद्दाख पर हुई सर्वदलीय बैठक में नरेंद्र दामोदरदास मोदी बड़े उन्मन लगे। नखहीन व्याघ्र की…
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भारतीय समाज को भारतीय नजरिये से समझने की एक कोशिश
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-6 सन् 60 से 75 तक तो दुनिया मे अमीर देश उपनिवेशवाद का पुराना चोला उतारकर नया जामा…
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हिन्दी-चीनी नाहीं नाहीं
ज्ञानेन्द्र शर्मा प्रसंगवश स्तम्भ: ‘हिन्दी-चीनी भाई भाई’ का नारा जब कभी भी हवा में लहराता है तो सबसे पहले दो…
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भारतीय समाज को भारतीय नजरिये से समझने की एक कोशिश
के.एन. गोविन्दाचार्य भाग-5 सन् 50 तक तो अंग्रेजों को दोष दिया जाना शायद कुछ जायज होता। उसमे भी इस प्रश्न…
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अवसाद से बचने के लिए वाह्य से ज्यादा जरूरी होता हैं आतंरिक परिवर्तन
डॉ. प्रियंका शुक्ला स्तम्भ: मानव जीवन में मानसिक अवसाद ऐसी अवस्था है जो व्यक्ति को बाहर से नहीं बल्कि अन्दर…
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