आज शाम चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के लिए तैयार है चंद्रयान-3, जानें इससे जुडी 10 बड़ी बातें
नई दिल्ली. जहां एक तरफ भारत (India) के मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) के आज शाम चंद्रमा की सतह पर उतरने की पूरी तैयारी हो चुकी हैं। वहीं इस मिशन की कमायाबी के लिए प्रार्थनाएं बड़े ही उत्साह के साथ आयोजित की जा रही हैं। वहीं ISRO के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग से पहले के 20 मिनट को भारत के लिए ” टेरर के 20 मिनट्स” बी बतात रहे हैं।
आइए जानते हैं चंद्रयान-3 मिशन की 10 बड़ी बातें
चंद्रयान-3 की लैंडिंग आज शाम 6.04 बजे पूरे देश में लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। इस कार्यक्रम के लिए आज बाकायदा स्कूल खुले रहेंगे। वहीं दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-3 की लैंडिंग के वक्त ISRO से सीधे वर्चुअली जुड़ेंगे।
हालांकि वहीं रूस के मून मिशन लूना-25 की असफलता से सस्पेंस बढ़ गया है, जो बीते रविवार को लैंडिंग के दौरान चंद्रमा की सतह पर क्रैश हुआ था। वैसे भारत का 2019 में, चंद्रयान -2 मिशन उसी क्षेत्र में सुरक्षित रूप से उतरने में विफल रहा था, जो गड्ढों और गहरी खाइयों से भरा पड़ा है। इधर ISRO ने विश्वास जताया है कि, लैंडिंग बिना किसी रुकावट के होगी, क्योंकि वैज्ञानिकों ने मिशन चंद्रयान-2 से कई सबक लिए हैं
चंद्रयान-3 की लैंडिंग का LIVE टेलीकास्ट शाम 5.20 बजे इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और डीडी नेशनल पर शुरू होगा। शाम 6.04 बजे विक्रम लैंडर, रोवर प्रज्ञान को लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।
ISRO ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के स्थान का चयन बड़ी ही सावधानी से किया है। जिस क्षेत्र में पानी के निशान मिले हैं, उसमें चंद्र जल बर्फ की कुंजी होने की उम्मीद है, जो एक बेहद मूल्यवान संसाधन हो सकता है।
वहीं चंद्रमा की सतह पर पानी है, इसका पता 2009 में इसरो के चंद्रयान-1 जांच पर NASA के एक उपकरण द्वारा पता लगाया गया था।
चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी भविष्य के चंद्रमा मिशन के लिए एक नई आशाहै – इसका उपयोग पीने के पानी के स्रोत के रूप में, उपकरणों को ठंडा करने और ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए हो सकता है। इससे महासागरों की उत्पत्ति के बारे में भी जरुरी जानकारी मिल सकती है । वहीं रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर रोवर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा।
ISRO ने बीते मंगलवार को कहा कि, मिशन तय समय पर है और सिस्टम की नियमित जांच हो रही है। वहीं ISRO ने लगभग 70 किमी की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें भी जारी की।
जानकारी दें कि, चंद्रमा लैंडर को बीते 14 जुलाई को एलवीएम 3 हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन पर लॉन्च किया गया था। इसे 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था। लैंडर विक्रम का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है, जिन्हें व्यापक रूप से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह माना जाता है।
वहीं चंद्रयान मिशन के बाद ISRO के पास कई बड़ी परियोजनाएँ हैं, उनमें से एक सूर्य का अध्ययन करने का मिशन, और एक मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान भी है।
इसके साथ ही सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला, आदित्य-एल1, संभवतः आगामी सितंबर के पहले सप्ताह में लॉन्च के लिए तैयार होने के कयास हैं।